रामायण काल में भी महिलाओं को मिलता था महत्व

अयोध्या बालि की पत्नी तारा रावण की पत्नी मंदोदरी और श्रीराम की पत्नी सीता इन तीन प्रमुख स्त्री पात्रों और बाल्मीकि रामायण में वर्णित अन्य स्त्रियों के संदर्भ का विश्लेषण यह स्थापित करता है कि स्त्रियों के विचार और उनका परामर्श पुरुषों और विशेष रूप से उनके पतियों के लिए महत्वपूर्ण थे। वे उनके परामर्श को विशेष महत्व देते थे। बाल्मीकि रामायण के संदर्भ यह बताते हैं कि रामायण काल से ही भारतीय समाज में महिलाओं के विचार और उनके परामर्श महत्वपूर्ण थे। साथ ही उनके वैवाहिक संबंध में स्त्रियों का समान महत्व था। यह बातें मुंबई विश्वविद्यालय के मिथलोजी डिपार्टमेंट के प्राध्यापक तथा प्रसिद्ध इतिहास विश्लेषक उत्कर्ष पटेल ने कहीं। वह गुलजार साहित्य समिति के 21वें वार्षिक समारोह को रामायण के संदर्भ में मांगलिक बंधन के रंग मांगलिक रामायण के संग विषय पर आयोजित व्याख्यान में बतौर वक्ता संबोधित कर रहे थे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Aug 2019 11:39 PM (IST) Updated:Mon, 19 Aug 2019 06:29 AM (IST)
रामायण काल में भी महिलाओं को मिलता था महत्व
रामायण काल में भी महिलाओं को मिलता था महत्व

अयोध्या : बालि की पत्नी तारा रावण की पत्नी मंदोदरी और श्रीराम की पत्नी सीता इन तीन प्रमुख स्त्री पात्रों और बाल्मीकि रामायण में वर्णित अन्य स्त्रियों के संदर्भ का विश्लेषण यह स्थापित करता है कि स्त्रियों के विचार और उनका परामर्श पुरुषों और विशेष रूप से उनके पतियों के लिए महत्वपूर्ण थे। वे उनके परामर्श को विशेष महत्व देते थे। बाल्मीकि रामायण के संदर्भ यह बताते हैं कि रामायण काल से ही भारतीय समाज में महिलाओं के विचार और उनके परामर्श महत्वपूर्ण थे। साथ ही उनके वैवाहिक संबंध में स्त्रियों का समान महत्व था। यह बातें मुंबई विश्वविद्यालय के मिथलोजी डिपार्टमेंट के प्राध्यापक तथा प्रसिद्ध इतिहास विश्लेषक उत्कर्ष पटेल ने कहीं। वह गुलजार साहित्य समिति के 21वें वार्षिक समारोह को रामायण के संदर्भ में 'मांगलिक बंधन के रंग मांगलिक रामायण के संग' विषय पर आयोजित व्याख्यान में बतौर वक्ता संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने सबसे पहले बालि की पत्नी तारा के संदर्भ में कहा कि जब सुग्रीव हारने के बाद फिर बालि को ललकारने लगे तब तारा ने बालि को युद्ध करने से मना किया। उसने कहा कि आखिर हारने के बाद जो ललकार रहा है तो अवश्य ही कोई सहयोग उसे मिल रहा होगा। उसके साथ वे दो राजपुत्र भी हैं अवश्य कुछ गड़बड़ है। पटेल ने रावण की पत्नी मंदोदरी के संदर्भ में कहा कि मंदोदरी ने भी हमेशा अपने पति को उचित सलाह दी। वह रावण जैसे शक्तिशाली ते भयभीत नहीं होती थीं। सीता हरण को लेकर उन्होंने रावण को समझाने के साथ ही उसकी बलशीलता को भी चुनौती दी थी। सीता के संदर्भ में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि बाल्मीकि रामायण सहित अनेक प्रसंग और स्थापित धारणाएं दोनों में बहुत अंतर है। स्थापित धारणा यह है कि सीता भगवान राम की हर बात का बिना प्रतिवाद किए अनुसरण करती थीं, जबकि आज धर्मग्रंथ का स्थान पा चुकी बाल्मीकि रामायण तुलसीकृत रामचरित मानस सहित लगभग तीन सौ से अधिक रामकथाओं के संदर्भ ऐसी धारणाओं के विपरीत हैं। वनगमन प्रसंग से ही यह स्पष्ट है कि श्री राम ने सीता को अयोध्या में ही रहने को कहा था। बाल्मीकि रामायण में 18 श्लोक उनके इसी प्रसंग के हैं। बाल्मीकि रामायण में ही अग्नि परीक्षा के दोनों प्रसंग उनके आत्मसम्मान के द्योतक हैं। सभी संदर्भों में यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि आज की स्त्री ना तो सीता है और ना ही आज का पुरुष राम।

इस अवसर पर दीपक वर्मा, पूजा, सुमति मिश्रा, डॉ.अशोक श्रीवास्तव, अरुण सिंहल, शशि मिश्रा सहित कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने अपनी जिज्ञासा वक्ता के समक्ष रखीं जिसका उन्होंने समुचित उत्तर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति की अध्यक्ष पूनम सूद ने की। इस मौके पर प्रसिद्ध कवियत्री डॉ. राधा पांडेय, कवि साकेत महाविद्यालय के हिदी विभाग के डॉ. अनिल सिंह, किसान डिग्री कालेज बस्ती के अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष तथा प्रसिद्ध समालोचक व साहित्यकार डॉ. रघुवंश मणि, डॉ. अलका मिश्रा मौजूद थे।

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