आठ की दवा के लिए चार रुपये डीबीटी खर्च

यह कृषि विभाग की डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम है। मकसद किसानों के बैंक एकाउंट में सीधे अनुदान की धनराशि देना है। यह डीबीटी किसानों के साथ राजकीय कृषि गोदाम प्रभारियों के लिए भी परेशानी का सबब है। कृषि विभाग में जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा डीबीटी के लिए है, वह है चूहामार दवा। फसल को चूहों से बचाने के लिए कृषि रक्षा इकाइयों से खरीदने पर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Feb 2019 11:10 PM (IST) Updated:Mon, 11 Feb 2019 11:10 PM (IST)
आठ की दवा के लिए चार रुपये डीबीटी खर्च
आठ की दवा के लिए चार रुपये डीबीटी खर्च

अयोध्या : यह कृषि विभाग की डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम है। मकसद किसानों के बैंक एकाउंट में सीधे अनुदान की धनराशि देना है। यह डीबीटी किसानों के साथ राजकीय कृषि गोदाम प्रभारियों के लिए भी परेशानी का सबब है। कृषि विभाग में जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा डीबीटी के लिए है, वह है चूहामार दवा। फसल को चूहों से बचाने के लिए कृषि रक्षा इकाइयों से खरीदने पर विभाग किसानों का अनुदान देता है। अनुदान में किसानों को चार रुपये मिलना है। चार रुपये डीबीटी से अनुदान लेने के लिए उसे पंजीकरण कराने में पासबुक, आधार कार्ड एवं खतौनी की छाया प्रति में खर्च करना पड़ता है।

किसान पंकज वर्मा बताते हैं कि जनसेवा केंद्र में पंजीकरण कराने का खर्च छोड़ दीजिए तो कृषि अभिलेखों की छाया प्रति कराने में ही चार रुपये खर्च हो गए। पंजीकरण की धनराशि जोड़ ली जाए तो अनुदान से ज्यादा किसान का खर्च हो जाएगा। अनुदान एक महीने में मिलेगा या दो में, इसका भी पता नहीं। ऐसे में अनुदान का मतलब नहीं रह जाता। जिला कृषि अधिकारी बीके ¨सह के पास जिला कृषि रक्षा अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार है। उनका कहना है कि यह सही है, लेकिन इसका उल्लंघन नहीं कर सकते। किसान अनुदान के लफड़े में फंसने से अच्छा उससे किनारा कर लेता है। अनुदान की धनराशि का भुगतान न होने से वह सरकारी खजाने में बच जाता है। राजकीय कृषि बीज भंडार के प्रभारियों का कहना है कि गैर अनुदानित मद में धनराशि बची रहती है। उनका यह भी कहना है कि चाहे चार रुपये का अनुदान हो या फिर चार सौ रुपये का राजकीय कृषि भंडार से लेकर जिला कृषि रक्षा अधिकारी एवं उप निदेशक कृषि स्तर पर सारी औपचारिकताएं एक जैसी ही पूरा करना होता है। ऐसे में किसान ही नहीं विभाग के लिए भी चूहा मार दवा की बिक्री बहुत ही मुश्किल भरी है।

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