कोर्ट के रुख से मंदिर निर्माण को बेकरार रामनगरी सकते में

अयोध्या : रामनगरी मंदिर निर्माण को लेकर बेसब्र है। गत वर्ष 29 अक्टूबर को सुप्रीमकोर्ट के मुख्य

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Jan 2019 11:36 PM (IST) Updated:Fri, 04 Jan 2019 11:36 PM (IST)
कोर्ट के रुख से मंदिर निर्माण को बेकरार रामनगरी सकते में
कोर्ट के रुख से मंदिर निर्माण को बेकरार रामनगरी सकते में

अयोध्या : रामनगरी मंदिर निर्माण को लेकर बेसब्र है। गत वर्ष 29 अक्टूबर को सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई के लिए दो माह से अधिक लंबी तारीख लगाकर पहले से ही सुनवाई शुरू होने और निर्णय आने की प्रतीक्षा कर रहे लोगों को बेचैन कर दिया था। कोर्ट में मंदिर के पक्षकार एवं निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास ने तो चीफ जस्टिस आफ इंडिया रंजन गोगोई को अलग कर विशेष बेंच के शीघ्र गठन के लिए राष्ट्रपति को पत्र भी भेजा था। इस उम्मीद में कि मामले की नियमित सुनवाई हो सके और निर्णय समय से आ सके। शुक्रवार को मामले की सुनवाई की पूर्व बेला में तो उन्होंने चीफ जस्टिस के विरुद्ध महाभियोग लाए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपाध्यक्ष अमित शाह तथा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र प्रेषित किया। इस शिकायत की आग में शुक्रवार को घी डालने का काम हुआ। एक बार पुन: सुनवाई शुरू करने के लिए तारीख आगे बढ़ाए जाने पर रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने क्षोभ जताते हुए कहा, मंदिर मुद्दे पर सरकार के मुकरने के बाद कोर्ट भी मुकर रही है। उन्होंने किसी निर्णय की ओर बढ़ने की बजाय बार-बार सुनवाई टाले जाने को घोर निराशाजनक बताया। शुक्रवार को एक बार पुन: सुनवाई टाले जाने के कुछ ही घंटे के भीतर विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा के माध्यम से रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं शीर्ष महंत नृत्यगोपालदास की भी प्रतिक्रिया सामने आ गई। उन्होंने कहा, हम न्यायिक प्रक्रिया का पूरा सम्मान करते हैं पर कोर्ट को भी ¨हदुओं की भावनाओं का आदर करना चाहिए। वहीं शर्मा ने सवाल उठाया कि मंदिर के लिए अदालती फैसले की प्रतीक्षा कब तक करनी होगी। 'मंदिर निर्माण शुरू होने तक रखा जाए शव'

- मंदिर निर्माण के लिए 12 दिन तक अनशन और आत्मदाह के एलान के चलते 20 दिन की जेलयात्रा कर चुके तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंसदास शुक्रवार को मामले की सुनवाई आगे बढ़ाए जाने का आदेश होते ही पुन: विचलित हो उठे। उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर बताया कि वे प्रयाग कुंभ के दौरान मंदिर के लिए गहन तपस्या करने वाले हैं और इस दौरान यदि उनकी मृत्यु हो जाए तो उनका शव तब तक संभाल कर रखा जाय, जब तक मंदिर निर्माण न शुरू हो।

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कोर्ट पर दबाव उचित नहीं : इकबाल

- मंदिर समर्थकों की व्यग्रता के विपरीत बाबरी मस्जिद के पक्षकार मो. इकबाल ने कहा, कोर्ट पर कोई दबाव नहीं होना चाहिए। कोर्ट आज फैसला करे या बाद में। वह जो भी फैसला करेगी, उसका स्वागत है।

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विलंब से हो सकती है अस्थिरता : राजकुमारदास

प्रतिष्ठित पीठ रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास के अनुसार मंदिर निर्माण में विलंब से अस्थिरता का वातावरण बन सकता है और जिम्मेदारों को इस सच्चाई को ध्यान में रखकर मसले के हल का प्रयास करना होगा।

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यह सामान्य भूमि विवाद नहीं : बब्लू

मंदिर समर्थक युवा मुस्लिम नेता एवं भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रांतीय मंत्री बब्लू खान ने कहा, मंदिर-मस्जिद का मामला 125 करोड़ भारतीयों के आपसी रिश्ते से जुड़ा है और मसले को इसी गंभीरता के साथ देखा जाना चाहिए। खान ने इसे सामान्य भूमि विवाद के तौर पर देखे जाने के रुख को गैरजिम्मेदाराना बताया।

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जनभावनाओं की उपेक्षा पुराना शगल : राघवेशदास

- वशिष्ठभवन के महंत डॉ. राघवेशदास कहते हैं, ¨हदू जनभावनाओं की उपेक्षा नया शगल नहीं है और अब यह नए सिरे से प्रस्तुत हो रहा है पर इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि अब देश में बहुसंख्यकों की भावनाओं की अनदेखी संभव नहीं है।

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उदासीनता समझ से परे : शक्ति

- सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रीय विचार केंद्र के अध्यक्ष शक्ति ¨सह के अनुसार कुछ अन्य मामलों में कोर्ट रात 12 बजे एवं छुट्टी के दिन सुनवाई करता है पर करोड़ों ¨हदुओं की आस्था से जुड़े राममंदिर के सवाल पर उदासीनता समझ से परे है।

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मोदी कराएंगे मंदिर निर्माण : ज्ञानी गुरुजीत

- गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत ¨सह निराशा से बचने की सलाह देते हैं। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का मौजूदा कार्यकाल भले ही चंद माह का ही हो पर उन्हें भरोसा है कि इसी कार्यकाल में मोदी मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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आसमान सिर पर उठाना उचित नहीं : रामदास

- अदालत में राममंदिर के पक्षकार एवं नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास का मानना है कि मंदिर के लिए आसमान सिर पर उठाना ठीक नहीं है। कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हो गई है और हमें निर्णय की प्रतीक्षा करने के साथ इस मसले को राजनीति से अलग रखना होगा।

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निर्णायक आंदोलन की बनेगी रूपरेखा : शर्मा

- विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा के अनुसार मंदिर के लिए आंदोलन का विकल्प पूरी तरह से खुला है और प्रयाग में 31 जनवरी से एक फरवरी तक चलने वाले धर्म संसद में संत निर्णायक आंदोलन की रूपरेखा बनाएंगे।

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