अशफाक बच्चों के लिए लिखना चाहते थे किताब

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By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Dec 2018 11:37 PM (IST) Updated:Tue, 18 Dec 2018 11:37 PM (IST)
अशफाक बच्चों के लिए लिखना चाहते थे किताब
अशफाक बच्चों के लिए लिखना चाहते थे किताब

अयोध्या : जंग-ए-आजादी के महान योद्धा अशफाक उल्ला खां की हरसत बच्चों के लिए किताब लिखने की थी। वे अपने दोस्तों और बच्चों में आजादी का रंग भरना चाहते थे। अशफाक की ये मंशा पूरी होती, इससे पहले उनके जीवन की अंतिम घड़ी आ गई। दो दशक से भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के गुमनाम नायकों पर शोध करने वाले समाजसेवी शाह आलम ने अशफाक की जेल डायरी का अध्ययन करने के बाद ये दावा किया है। वह कहते हैं कि अशफाक की डायरी का हर पन्ना उनकी हसरत को बयां करता है।

जेल डायरी के पन्ने काफी प्रयास के बाद शाहजहांपुर निवासी अशफाक उल्ला खां के पौत्र से मिले हैं, जिनका नाम अशफाक है। अशफाक की स्मृतियों के संकलन में उनके परिवार व कई जानकारों से भेंट वार्ता हुई। जेल डायरी के एक पन्ने पर फॉर चिल्ड्रेन फ्रैंड शीर्षक से कुछ शब्द भी लिखे हैं, जो पुस्तक के सारांश का हिस्सा नजर आते हैं। शाह आलम जेल डायरी के पन्नों को सार्वजनिक करने के साथ अयोध्या से लेकर कारगिल तक उसकी प्रदर्शनी भी लगा चुके हैं। फैजाबाद जेल (अब अयोध्या कारागार) में अशफाक की लिखी डायरी के 35 पन्ने देश और समाज के प्रति समर्पित हैं। डायरी के पन्ने उर्दू में हैं। कुछ पन्ने अंग्रेजी में हैं। दीमक के नुकसान पहुंचा देने की वजह से पन्ने के काफी शब्द अस्पष्ट हो चुके हैं। 19 दिसंबर वर्ष 1927 को फांसी के साथ ही उनकी किताब लिखने की इच्छा अधूरी रह गई।

पहली बार 1967 में खुला फांसी घर

फैजाबाद : आजादी के बाद पहली बार जिले के स्वतंत्रता सेनानी रमानाथ मेहरोत्रा, महात्मा हरगो¨वद, डॉ. सुरेंद्रनाथ सहित स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी अन्य शख्सियतों ने जेल का फांसीघर खुलवाकर अशफाक को श्रद्धासुमन अर्पित किया। स्वतंत्रता सेनानी परिषद ने अशफाक की याद में कार्यक्रम आयोजित किया।

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