आढ़तियों से मिलता नगद भुगतान, किसान बेच रहे उनको धान

रुदौली (फैजाबाद) : नोटबंदी से छोटे किसान परेशान है। वह अपना धान सरकारी क्रय केंद्र के बजाय आढ़तियों

By Edited By: Publish:Sun, 04 Dec 2016 12:03 AM (IST) Updated:Sun, 04 Dec 2016 12:03 AM (IST)
आढ़तियों से मिलता नगद भुगतान, किसान बेच रहे उनको धान

रुदौली (फैजाबाद) : नोटबंदी से छोटे किसान परेशान है। वह अपना धान सरकारी क्रय केंद्र के बजाय आढ़तियों के हाथों बेचने को विवश हैं। बैंकों में समय से पैसा न मिल पाने के कारण किसान व मजदूर परेशान है। विवश होकर किसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए गाढ़ी कमाई की फसल को फुटकर दुकानदारों के हाथ औने पौने दामों में बेच रहा है। बैंकों में महज चार व दो हजार मिलने से किसान की जरूरतें नहीं पूरी हो पा रही है। बाजार में 12 से 13 रुपए प्रति किलो की दर से बिकने वाला धान 5 से 6 रुपए में फुटकर दुकानदारों द्वारा खरीदा जा रहा है। ग्राम चिरैधापुर निवासी किसान विश्राम यादव व अशोक कुमार कहते है कि बैंकों में पैसों के लिए सुबह से शाम तक भूखे प्यासे कतार में खड़े रहने के बाद भी दो से चार हजार रुपए मिलते हैं। इससे अच्छा गल्ला व्यापारियों को धान बेच देते हैं। नगद पैसा मिल जाता है। पस्ता माफी निवासी किसान भुल्लु यादव, विकास ¨सह कहते हैं कि धान गल्ला व्यापारी के हाथों बेच दिया। नुकसान तो हुआ पर लाइन में नहीं लगना पड़ा। सराय नासिर निवासी राम अवध का कहना है कि नोट बंदी से सबसे अधिक गरीब मजदूर व किसान परेशान हो रहा है।

मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

नगर में लगने वाली मजदूर मंडी भी सूनी नजर आ रही है। क्षेत्र के ग्राम कैथी निवासी राम शंकर कहते हैं कि प्रतिदिन मजदूरी कर जीवन यापन करते थे। नोट बंदी के कारण अधिकांश निर्माण ठप हो जाने से मजदूरी भी नहीं मिलती है। ग्राम हलीमनगर की कलावती कहती हैं कि आपरेशन कराने के लिए पंद्रह हजार रुपए की जरुरत है। जिसके लिए बैंक का चक्कर काट रही हूं। ग्राम नई सराय निवासी मजदूर साबिर कहते हैं कि रुदौली नगर में कुद्दूसी मार्केट में लगने वाली मजदूर मंडी में काम की तलाश में प्रात: दर्जनों मजदूर आते हैं। नोटबंदी के कारण निर्माण कार्य ठप होने से काम न मिलने से निराश होकर वापस चले आते हैं।

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