स्वराशि का पेड़ लगाए, ग्रह पीड़ा से मुक्ति पाए

फैजाबाद : पौध रोपण को जनांदोलन की शक्ल देने के लिए वन विभाग ने अनूठी पहल की है। पौध रोपण को धार्मिक

By Edited By: Publish:Thu, 02 Jul 2015 12:15 AM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2015 12:15 AM (IST)
स्वराशि का पेड़ लगाए, ग्रह पीड़ा से मुक्ति पाए

फैजाबाद : पौध रोपण को जनांदोलन की शक्ल देने के लिए वन विभाग ने अनूठी पहल की है। पौध रोपण को धार्मिक आस्था से जोड़ते हुए महकमे ने अलग-अलग वृक्षों का विभिन्न ग्रहों की शांति से रिश्ता बताते हुए लोगों को पौध रोपण के लिए प्रेरित करने की मुहिम छेड़ी है।

ग्रह शांति के फेर में ज्योतिषियों के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने वाले बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि पौधे भी ग्रहों की शांति में खासे मददगार साबित हो सकते हैं। अगर आप ग्रह पीड़ा से परेशान है तो स्वराशि का पेड़ लगाएं और ग्रह क्लेश से निजात पाएं। अपनी राशि का पेड़ लगाने से आपको ग्रह क्लेश से शांति मिल सकती है।

दरअसल ग्रहों से वनस्पतियों का काफी समय से जुड़ाव रहा है। ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों का वर्णन किया गया है। रुदौली के वन क्षेत्राधिकारी एपी यादव की मानें तो ग्रहों के कुप्रभावों को कम करने के लिए अलग-अलग वनस्पतियां बताई गईं हैं। पौधरोपण अभियान को जनान्दोलन के रूप में तैयार करने के लिए वन विभाग ने रुदौली रेंज की बसौढ़ी पौधशाला पर राशि नक्षत्र के मुताबिक पौधे तैयार किए हैं, जिन्हें रोपित कर लाभ उठाया जा सकता है। राशि के मुताबिक पौध रोपित करने के लिए विभाग ने प्रवेश द्वार पर एक बोर्ड लगवाया है। इस पर साफ तौर पर दर्ज है कि किस राशि के व्यक्ति को कौन सा पौधा रोपित करना चाहिए, इस पर विस्तृत रूप से अंकित किया गया है। वेद पुराण में भी वृक्षों को देवों की संज्ञा से नवाजा गया है। वृक्ष को देव मानकर उनकी पूजा की जाती है। पीपल, नीम, बरगद को आज भी बड़ी संख्या में विभिन्न धर्मावलंबी पूजते हैं। राशि के स्वामी ग्रह बताए गए हैं। नौ ग्रहों की 12 राशियां होती है और 27 नक्षत्र होते हैं। घरों में ग्रहों की पूजा होती है। नवग्रह वाटिका बनाई जाती है। हवन आदि कर्मकांड में भी नौ वृक्षों की लकडि़यों से हवन किया जाता है। इसी धार्मिक महत्व का सहारा लेते हुए वन विभाग ने हरियाली लाने की मुहिम छेड़ी है। बुधवार को वन महोत्सव के आरंभ से इसकी शुरूआत की गई है।

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ग्रह संबधित वनस्पति

सूर्य मदार

सोम ढाक

मंगल खैर

बुध लटजीरा

बृहस्पति पीपल

शुक्र गूलर

शनि शमी

राहु दूब

केतु कुश

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'ज्योतिष शास्त्र से वनस्पतियों के जुड़ाव की जानकारी देने के पीछे केवल यह उद्देश्य है कि लोग पौध रोपण अभियान से जुड़े। जनमानस की सहभागिता के बगैर पौधरोपण कारगर नहीं हो सकता है। लोग वास्तुशास्त्र व ज्योतिष शास्त्र को मान रहे हैं। आदमी का झुकाव शास्त्रों की तरफ लगातार बढ़ रहा है। इसलिए यह तरीका अपनाया गया। इसका लाभ मिल रहा है। पौधों की ब्रिकी हो रही है और पौध रोपित किए जा रहे हैं। - एपी यादव वन क्षेत्राधिकारी रुदौली'

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