सूरज के ढलते ही तेंदुए के भय से घरों में कैद हो जाते ग्रामीण

देशराज यादव चकरनगर डकैतों के बाद चकरनगर की चंबल घाटी में भय का दूसरा नाम तेंदुए ह

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 10:28 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 10:28 PM (IST)
सूरज के ढलते ही तेंदुए के भय से घरों में कैद हो जाते ग्रामीण
सूरज के ढलते ही तेंदुए के भय से घरों में कैद हो जाते ग्रामीण

देशराज यादव, चकरनगर

डकैतों के बाद चकरनगर की चंबल घाटी में भय का दूसरा नाम तेंदुए हैं। तेंदुओं का चकरनगर तहसील क्षेत्र के सहसों गांव में पिछले एक माह से ऐसा भय व्याप्त है कि लोग शाम ढलते ही बच्चों को घरों में कैद कर लेते है। पशुओं के पास लाठी-डंडों सहित धारदार हथियार कुल्हाड़ी लेकर रात भर पहरेदारी करते हैं। तेंदुए दिन में भी गांव में विचरण करते देखे जाते हैं।

सहसों गांव के शक्ति सिंह कुशवाहा ने बताया कि वह अपने मामा सत्यभान के साथ गुरुवार सुबह करीब छह बजे शौच के लिए जा रहा था। इसी दौरान मोनू के दरवाजे पर बंधी गाय पर तेंदुए ने हमला कर दिया। गाय रस्सी तोड़कर गांव की तरफ भागी। शोर मचाने पर जंगल की तरफ भागते तेंदुए को उन्होंने देखा। मौके पर दादी राजा बेटी भी पहुंच गई थीं। वीरे राजपूत बताते हैं कि गुरुवार शाम करीब चार बजे थाना आवास के समीप रखी एक गुमटी पर करीब सात आठ लोग खड़े थे और तेंदुआ डाल्फिन विश्राम गृह की तरफ से लखना-सिडौस मार्ग पर आ रहा था। तेंदुए को देखकर सभी के हलक डर के मारे सूख गए। शोरगुल करने पर तेंदुआ नदा गांव की तरफ झाड़ियों में घुस गया।

मान सिंह कुशवाहा ने बताया कि एक सप्ताह पूर्व वह अपनी बाइक से शाम करीब छह बजे घर जा रहे थे। इसी दौरान गांव से पहले लखना-सिडौस मुख्य मार्ग किनारे चढ़ाई पर बैठे तेंदुए को देखकर लोगों को अपना रास्ता बदलना पड़ा, कितु तेंदुआ करीब आधे घंटे तक वही बैठा रहा। शिवराज यादव ने बताया कि गांव में तेंदुए की चहलकदमी आम हो गई है। विद्युत संविदा कर्मी बंटी यादव, इंटे व यतेंद्र कुमार, गीतम सिंह, शिवेंद्र सिंह ने बताया कि सहसों हनुमंतपुर पावर हाउस के पास गड्ढे में भरे पानी को पीने के लिए रोजाना शाम को तेंदुआ आता है। पूरे दिन ही तेंदुआ पावर हाउस के इर्द-गिर्द रहता है। अक्सर लखना-सिडौस सड़क मार्ग पर विचरण करते भी देखा जाता है।

--------------------- गांव में एक भी बार तेंदुए के पद चिह्न नहीं मिले हैं, फिर भी लोगों को सचेत रहने के लिए आगाह किया जा रहा है।

हरि किशोर शुक्ला, रेंजर सैंक्चुअरी रेंज चकरनगर

'डाकुओं के समय में भी इतना भय नहीं रहा, जितना अब तेंदुओं का रहता है। सैंक्चुअरी कर्मियों द्वारा सिर्फ लेक्चर दिए जा रहे हैं, कोई कार्य नहीं किया जा रहा।'

राजाबेटी सहसों 'सैंक्चुअरी कर्मी हादसे का इंतजार कर रहे हैं। रोजाना ही ग्रामीणों द्वारा संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को अवगत कराया जा रहा है। बावजूद इसके तेंदुए पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं लगाया जा रहा है।'

शक्ति सिंह कुशवाहा सहसों आए दिन लखना-सिडौस मार्ग पर तेंदुआ बैठा हुआ मिलता है जिससे राहगीर बुरी तरह भयभीत हैं। कभी भी कोई हादसा हो सकता है। मान सिंह कुशवाहा सहसों दो तेंदुए देखे गए हैं जिन्होंने हमारे बछड़े पर हमला बोला है। कभी भी कोई अप्रिय घटना हो सकती है। वन विभाग को इस पर ध्यान देना चाहिए।

शिवराज सिंह यादव, हनुमंतपुरा

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