शिवपाल के नए दांव से सपा के गढ़ में हलचल, चाचा-भतीजे की रार से असमंजस

सपा नेता शिवपाल सिंह यादव के नए दांव से समाजवादी पार्टी के गढ़ में हलचल बढ़ गई है। खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं है लेकिन, कानाफूसी जोरों पर है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Fri, 31 Aug 2018 08:42 PM (IST) Updated:Fri, 31 Aug 2018 08:42 PM (IST)
शिवपाल के नए दांव से सपा के गढ़ में हलचल, चाचा-भतीजे की रार से असमंजस
शिवपाल के नए दांव से सपा के गढ़ में हलचल, चाचा-भतीजे की रार से असमंजस

इटावा (जेएनएन)। सपा नेता शिवपाल सिंह यादव के नए दांव से समाजवादी पार्टी के गढ़ इटावा में हलचल बढ़ गई है। खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं है लेकिन, कानाफूसी जोरों पर है। अखिलेश खेमे का दावा है कि इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं शिवपाल सिंह का खेमा जी जान से जुट गया है। शिवपाल यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन कर यह एलान किया था कि जो लोग सपा में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं उनको सम्मान दिया जाएगा। इससे जनपद में उपेक्षा का दंश झेल रहे सपाइयों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। दरअसल यहां बड़ी तादाद में ऐसे कार्यकर्ता हैं जिन्होंने परिवार में रार आने के बाद खुद को निष्क्रिय कर लिया था। 

बढ़ेंगी मोर्चे की गतिवधियां

शिवपाल खेमे के लोगों की बढ़ी सक्रियता से इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि मोर्चे की गतिविधियां तेजी से बढ़ेंगी। इटावा जिले की बात करें तो यहां सदर और जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में शिवपाल का दखल सर्वाधिक माना जाता है। यहां पर बड़ी संख्या में उनके सिपहसालार मौजूद हैं। 

असमंजस में समर्थक 

चाचा-भतीजे की रार से समर्थक असमंजस में हैं। वह तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर किसे किसके साथ जाना है। अभी तक समर्थक सपा के साथ थे। अब उन्हें अखिलेश और शिवपाल खेमे में से किसी एक को चुनना होगा या फिर चुप रहना ही बेहतर होगा। 

समय पर लोगों से करूंगा बात : अखिलेश

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव और उनके सेक्युलर मोर्चा पर टिप्पणी करने से बचे। बोले, 'आज मैं यहां पूर्व राज्यसभा सदस्य दर्शन सिंह यादव के निधन पर शोक व्यक्त करने आया हूं, इसलिए कुछ नहीं बोलूंगा। समय आने पर इटावा के लोगों से बात करूंगा। उनकी इस बात के अब निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। उत्तराखंड से सीधे सैफई के हैंवरा पहुंचे सपा अध्यक्ष ने कहा कि दर्शन सिंह के निधन से पार्टी को बड़ी क्षति हुई है जिसकी भरपाई संभव नहीं। पूरा जीवन समाजसेवा में ही व्यतीत करने वाले दर्शन सिंह पर्यावरण के बहुत बड़े संरक्षक थे। 

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