ज्ञानवापी मामले में न्यायालय के आदेश को मानना होगा

बालक की प्रथम गुरू होती है मां

By JagranEdited By: Publish:Thu, 19 May 2022 08:37 PM (IST) Updated:Thu, 19 May 2022 08:37 PM (IST)
ज्ञानवापी मामले में न्यायालय के आदेश को मानना होगा
ज्ञानवापी मामले में न्यायालय के आदेश को मानना होगा

ज्ञानवापी मामले में न्यायालय के आदेश को मानना होगा

संवाद सहयोगी, भरथना : ज्ञानवापी मामले में न्यायालय के आदेश को सभी को मानना होगा। सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं। यह बात सांसद डा. रामशंकर कठेरिया के ग्राम नगरिया सरावा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन केंद्रीय कानून राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कही। काशी नगरी भगवान शिव की बसाई हुई नगरी है।

उन्होंने कहा कि बच्चों के पाठ्यक्रम में भगवत गीता नहीं है इसे जोड़ा जाना चाहिए। जिससे बच्चे संस्कारवान बन सकें। उनके साथ विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स राज्यमंत्री अजीत पाल ने भी भागवत कथा सुनी और पूजा अर्चना की। इस अवसर पर क्षेत्रीय संयोजक बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान डा. बीना लगनिया, औरैया भाजपा जिलाध्यक्ष श्रीराम मिश्रा, पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीकांत पाठक, पूर्व आरएसएस प्रचारक मनोज कुमार, सांसद प्रतिनिधि श्रीभगवान पोरवाल, सीपू चौधरी, केशव जैन, मनु तिवारी, सुमेध अवस्थी, अनूप जाटव, राजेश तिवारी, अनुराग त्यागी, आकाश अग्रवाल, गोविंद वर्मा, आयुष पोरवाल, प्रहलाद यादव मौजूद रहे।

बालक की प्रथम गुरू होती है मां

श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस कथा वाचक डा. श्याम सुंदर पाराशर ने कहा कि बालक की प्रथम गुरु उसकी मां होती है, क्योंकि मां के संस्कार ही बालक के कोमल हृदय पर प्रभाव डालते हैं। वही संस्कार उसको ध्रुव, प्रहलाद, विवेकानंद, महाराणा प्रताप बनाते हैं। इसलिए हमें अपने बच्चों के संस्कार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हम आग को जानकर छुएं या अनजाने में छुएं तो आग जलाएगी ही और बिजली के तार अनजाने में छू जाने पर करंट लगेगा ही, उसी प्रकार भगवान का नाम जानकर जपें या अनजाने में जपें, उसका लाभ मिलेगा ही।

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