एसएसपी आवास के समीप युवक की गोली मारकर हत्या

इटावा, जागरण संवाददाता : एसएसपी आवास के कैंपस के बाहर कचहरी की चहल-पहल के बीच सुबह नौ बजे एक युवक की

By Edited By: Publish:Fri, 29 May 2015 01:14 AM (IST) Updated:Fri, 29 May 2015 01:14 AM (IST)
एसएसपी आवास के समीप युवक की गोली मारकर हत्या

इटावा, जागरण संवाददाता : एसएसपी आवास के कैंपस के बाहर कचहरी की चहल-पहल के बीच सुबह नौ बजे एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बाइक सवार दो लोगों द्वारा सुनियोजित तरीके से घात लगाकर कचहरी गेट से एसएसपी चौराहा के बीच प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के आवास के गेट पर घटना को अंजाम दिया गया। मारा गया युवक ससुराल पक्ष द्वारा दर्ज कराए गए पत्नी के अपहरण के मुकदमे के सिलसिले में कचहरी आया था। उसने ससुराल पक्ष की तरफ से हमले की आशंका जताई थी। वह वकील के साथ बाइक से निकला ही था तभी उस पर हमला कर दिया गया। दुस्साहसिक अंदाज में घटना को अंजाम देकर हमलावर एसएसपी आवास के गेट पर तैनात संतरी के सामने से निकल गए और पुलिस उनको पकड़ने में नाकाम रही।

मैनपुरी के ग्राम हकीमपुर बरनाहल निवासी सुशील मोहन पांडेय (30) पुत्र रामकिशन पांडेय गुरुवार की सुबह अपने वकील सुबोध द्विवेदी के पास आए थे। सुशील के खिलाफ पहली मई को सिविल लाइन थाना में उसकी सास नीलम मिश्रा पत्नी महेश चंद्र मिश्रा निवासी कचहरी कालोनी इटावा ने पुत्री अमृता मिश्रा का एक साथी के सहयोग से जबरन अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के मुताबिक सुबह करीब नौ बजे अमृता को¨चग पढ़ने के लिए साइकिल से निकली थी तभी उसका अपहरण फ्रेंडस कालोनी रोड स्थित कैलाशधाम वाटिका के पास से किया गया था। इससे पहले भी सुशील के खिलाफ नीलम की तरफ से अमृता के बच्चे तथा दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया गया था। पत्नी के अपहरण का दर्ज मामला चार माह के भीतर तीसरा मुकदमा था। थानाध्यक्ष विनोद यादव ने जब अमृता से पूछताछ की तो उसने अपहरण का आरोप नकारते हुए अपनी मर्जी से पति संग जाने की बात कही थी।

वकील सुबोध द्विवेदी ने बताया कि अपहरण के केस में सुशील पत्नी अमृता के साथ 22 मई को हाईकोर्ट में पेश हुआ था। जबकि दूसरे पक्ष से नीलम मिश्रा के पति महेश चंद्र मिश्रा पेश हुए। महेश जजी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। हाईकोर्ट में अमृता ने बयान दिया था कि वह पति के संग रहना चाहती है। तब हाईकोर्ट ने अपहरण के केस में स्थगनादेश सुनाया था। सुशील उसी स्टे आर्डर की कापी निचली अदालत में दाखिल करने के लिए लाया था। उसने कापी सौंपने के बाद ससुराल पक्ष के लोगों द्वारा घेरकर हमला किए जाने की आशंका जताई थी। इसलिए वह तुरंत घर जाना चाहता था। उसकी आशंका के मद्देनजर ही उसको अपनी बाइक से कचहरी से करीब डेढ़ सौ मीटर दूर एसएसपी चौराहा तक छोड़ने के लिए निकले। वह सड़क के मध्य से होकर जा रहे थे तभी अधिशासी अभियंता के आवास गेट पर बाइक खड़ी कर पहले से घात लगाए खड़े दो असलहाधारियों ने बाइक रोककर उनको गिरा दिया और सुशील के सीने में गोली मार दी। सुशील के औंधे मुंह गिरते ही वह तुरंत बाइक से सिविल लाइन थाना पहुंचे लेकिन वहां सिर्फ मुंशी मिला। तब घटना की सूचना वायरलेस पर प्रसारित हुई लेकिन इससे पहले मौके पर पहुंचे कुछ वकीलों द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देने की कोशिश करने के बावजूद 100 नंबर रिसीव ही नहीं हुआ। इस आपाधापी के बीच सुशील मौके पर ही दम तोड़ चुका था। घटना के करीब बीस मिनट बाद एएसपी सर्वानंद ¨सह यादव, सीओ सिटी सिद्धार्थ वर्मा मौके पर पहुंचे।

एसएसपी मंजिल सैनी ने बताया कि हमलावर कौन थे, इसकी पुष्टि नहीं हुई है। घटना के पीछे ससुराल पक्ष के अलावा दूसरा एंगल भी हो सकता है। इसके बारे में छानबीन की जा रही है। जल्द घटना का वर्कआउट कर लिया जाएगा। कचहरी में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाएगी।

वकीलों ने लगाए पुलिस मुर्दाबाद के नारे

कचहरी गेट के पास और एसएसपी आवास के कैंपस के बाहर दिन दहाड़े युवक की सरेआम हत्या को लेकर वकीलों ने सुरक्षा व्यवस्था का सवाल उठाते हुए पुलिस के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। घटना के तुरंत बाद बड़ी संख्या में वकील प्रदर्शन करते हुए एसएसपी आवास में दाखिल हुए और दुस्साहसिक घटना को लेकर ¨चता प्रकट की। वकील डीडी मिश्रा ने बताया कि एसएसपी ने तीन दिन का समय मांगा है। वकील के. मोहन शुक्ला का कहना था कि इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। हमलावरों का निशाना चूकता तो एक वकील की जान भी जा सकती थी। पुलिस सतर्कता बरतती तो घेराबंदी कर हमलावरों को तुरंत पकड़ा जा सकता था। पूरे घटनाक्रम में पुलिस की नाकामी का एक पक्ष सामने आया है।

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