कैसे बने भविष्य महान, गुरूजी भूल गए राष्ट्रगान

By Edited By: Publish:Sat, 21 Sep 2013 01:27 AM (IST) Updated:Sat, 21 Sep 2013 01:28 AM (IST)
कैसे बने भविष्य महान, गुरूजी भूल गए राष्ट्रगान

दृश्य एक:

बीआरसी परिसर में प्राथमिक विद्यालय में ईश वंदना के बजाये छात्र, छात्राएं सुबह 8:16 बजे पर झाडू लगा रहे थे। वही कुर्सी पर बैठे प्रधानाध्यापक शैलेंद्र कुमार अखबार पढ़ रहे थे। उनसे ईश वंदना व बच्चों के द्वारा झाडू लगाने के संबंध में बात की गयी तो उन्होने बताया कि झाडू क्या मैं लगाऊंगा। और बोले ईश वंदना व राष्ट्रगान अध्यापक न आने के कारण से नही हो पा रहा है। वही सहायक अध्यापिका मंजरी श्रीवास्तव मौके पर मौजूद नही थी। उसी परिसर में बने पूर्व माध्यमिक विद्यालय में भी ईश वंदना नही होती है।

दृश्य दो: प्राथमिक विद्यालय नीमढाड़ा को 8:43 पर देखा गया तो वहा पंजीकृत छात्र संख्या 19 में से मौके पर 16 थे। विद्यालय शिक्षा मित्र के भरोसे पर ही संचालित था। छात्र रोहित-5, सोहित-3, व मधु-4 ने बताया कि प्रार्थना व राष्ट्रगान यहा नही होता है।

दृश्य तीन: प्राथमिक विद्यालय बरचौली में एक शिक्षामित्र मौके पर मौजूद था वही दूसरी शिक्षामित्र सुरुचि अनुपस्थित थीं। विद्यालय के बाहर स्वच्छ उत्तम विद्यालय लिखा था वही बाहर कूड़ा लगा था। पंजीकृत 31 छात्रों में से मौके पर 22 थे। देवेश व अमित कक्षा-3 ने बताया कि ईश वंदना व राष्ट्रगान नही होता है।

दृश्य चार: पूर्व माध्यमिक विद्यालय बरचौली में पंजीकृत छात्र संख्या 24 में से मौके पर 16 बच्चे मौजूद थे। ईश बंदना कौन कराये वहा कोई अध्यापक ही तैनात नही हैं। टूटे फूटे फर्नीचर पर बच्चे बैठे थे जिसमें काफी कूढ़ा पड़ा था। विद्यालय की इमारत चारों तरफ से फट गयी है। यहां भी ईश वंदना नहीं होती।

देशराज यादव, चकर नगर

यह तो केवल बानगी है। गुर्रु: ब्रह्मा गुर्रु: विष्णु, गुर्रुदेव महेश्वर: गुर्रु: साक्षात परमबृह्मा तस्मै: श्री गरुवै नम:। संस्कृत का यह श्लोक बताता है कि गुरु की महिमा भगवान से भी बढ़कर होती है क्योंकि ईश्वर के बारे में गुरु ही बेहतर बताते हैं, लेकिन ऐसे गुरुओं का क्या करें जिन्होंने खुद को पहले से ही ईश्वर से बड़ा मना लिया है। चौंकिए मत हम सच कह रहे हैं। शिक्षा विभाग भले ही सभी बच्चों को संस्कारित शिक्षित करने का दावा कर रहा हो लेकिन मुख्यमंत्री के गृह जनपद में शिक्षक खुद संस्कारों का कखग भूल गये हैं। चकरनगर के दर्जनों स्कूलों में पिछले कई माह से न तो ईश वंदना हुई है और न राष्ट्रगान। ऐसे में शिक्षकों की मंशा और कर्तव्यनिष्ठा पर ही सवाल उठने लगे हैं।

स्कूलों में हाल बेहाल

बीएसए के के ओझा ने ब्लाक चकर नगर करीव 18 जूनियर विद्यालयों के अध्यापकों को रिलीव कर दिया है। वही करीव 35 प्राथमिक विद्यालय भी शिक्षक विहीन हैं, यहां केवल शिक्षामित्र ही अपनी उपस्थित दर्ज कराते हैं। जबकि अभी तक चकरनगर में मात्र 20 शिक्षक ही भेजे गये हैं। इनमें से भी अधिकांश शिक्षकों ने ज्वाइन नहीं किया है। कई शिक्षक तो सुबह शाम बीएसए कार्यालय का चक्कर लगाने में ही व्यस्त हैं।

''कई स्कूलों से शिकायत मिली है। ईश वंदना और राष्ट्रगान न होना गंभीर मामला है। लापरवाहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।''-केके ओझा, बीएसए, इटावा

(टैली) कुछ ऐसे हैं हालात

प्राथमिक विद्यालय- 114

पूर्व माध्यमिक विद्यालय- 57

शिक्षक..

प्राथमिक में शिक्षकों की संख्या-105

पूर्व माध्यमिक में शिक्षकों की संख्या- 45

छात्र-छात्राएं..

प्राथमिक विद्यालय में पंजीकृत छात्र संख्या लगभग -7000

पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पंजीकृत छात्र संख्या लगभग -3000

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