यातायात माह: अवैध बस और टैक्सी अड्डे भी घेरे हैं फुटपाथ

प्राइवेट अड्डों को शहर से बाहर करने के आदेश पर अमल तक नहीं हुआ. कार्रवाई के नाम पर होती खानापूर्ति टैक्सी स्टैंड भी घेरे हैं सड़कें

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Nov 2019 10:37 PM (IST) Updated:Mon, 18 Nov 2019 10:37 PM (IST)
यातायात माह: अवैध बस और टैक्सी अड्डे भी घेरे हैं फुटपाथ
यातायात माह: अवैध बस और टैक्सी अड्डे भी घेरे हैं फुटपाथ

एटा, जासं। शहर में फुटपाथों को दुकानदार तो घेरे ही हैं, साथ ही अवैध रूप से संचालित बस अड्डे भी कम नहीं हैं। जीटी रोड पर ही कई अड्डे हैं, जिनके कारण जाम लगता है। पूर्व में अड्डों को शहर से बाहर करने का आदेश दिया गया था, मगर इस पर अमल नहीं किया जा रहा। डग्गेमारों से शहर की सड़कों पर जाम लगता है।

शहर में कहीं भी निकलें हर जगह प्राइवेट बसें और डग्गेमार वाहनों का राज नजर आ जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ-साथ अन्य संपर्क मार्गों का भी बुरा हाल है। जीटी रोड स्थित जनता दुर्गा मंदिर चौराहे पर बस चालकों ने अवैध बस स्टैंड बना रखा है। इससे आए दिन जाम लगता है। ठंडी सड़क पर गंजडुंडवारा जाने वाली बसों और प्राइवेट वाहन चालकों ने स्टैंड बनाकर सड़क पर कब्जा कर लिया है। शिकोहाबाद रोड और सैनिक पड़ाव पर भी अवैध रूप से स्टैंड हैं। इनके चलते शहर का स्वरूप तो बिगड़ ही रहा है, साथ ही लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां बसों का जमावड़ा लगता है तो मार्ग पर यातायात बाधित होता है। चालक भी बसों को जहां-तहां खड़ा कर चले जाते हैं और समस्या बढ़ जाती है। इन स्टैंडों के पास ही ठेल संचालकों और अन्य दुकानदार भी अतिक्रमण कर लेते हैं। राजमार्ग पर जाम की समस्या यहां से ही शुरू होती है जो अलीगंज रोड तिराहे तक बनी रहती है। ठंडी सड़क से पटियाली गेट तक वन-वे मार्ग होने और नियमित बड़े वाहनों का गुजरना जाम की समस्या पैदा करता है।

यहां स्थापित होने हैं स्टैंड:

अवैध स्टैंडों को शहर से बाहर करने की योजना बनाई गई थी। आगरा रोड पर क्रिश्चियन स्कूल के पास, शिकोहाबाद रोड पर साक्षी आश्रम, गंजडुंडवारा रोड पर शिवसिंहपुर के पास, कासगंज रोड पर गुरुकुल, निधौली कलां रोड पर नगला केवल, अलीगंज रोड पर शीतलपुर के पास बस स्टैंडों को स्थापित करने का फैसला किया गया था। सरकारी भूमि न मिलने पर किराए की भूमि का भी विकल्प तलाशा गया, लेकिन स्टैंड संचालकों की दबंगई के चलते प्रशासन की कवायद फेल हो गई। इसके बाद किसी भी अधिकारी ने इस ओर कोई पहल नहीं की।

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