टीबी के इलाज से मना किया तो तीन साल जेल
जागरण संवाददाता, एटा: जी हां, कोई टीबी रोगी का इलाज करने से मना नहीं कर सकता है।
जागरण संवाददाता, एटा: जी हां, कोई टीबी रोगी का इलाज करने से मना नहीं कर सकता है। ऐसा करने पर उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। दरअसल, संक्रमण और मरीजों की बढ़ती संख्या से ¨चतित सरकार ने कानून बनाया है, जिसमें कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। यही नहीं, टीबी रोगियों की जानकारी छुपाने वाले भी इस कानून के तहत दंडित किए जा सकते हैं।
तमाम कोशिशों के बावजूद क्षय रोगियों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। इसकी प्रमुख वजह क्षय रोगियों का सही इलाज न हो पाना है। सही और पूरा इलाज न होने से मरीज ठीक नहीं हो पाता। साथ ही वह अन्य लोगों को भी संक्रमण बांटता रहता है। अक्सर गरीब लोग सही चिकित्सकों तक नहीं पहुंच पाते। कई बार तो रोगियों को इलाज से ही मना कर दिया जाता है। जबकि रोग को छुपाने की प्रवृत्ति के चलते अन्य कई लोग भी इलाज कराने से बचते रहते हैं। इस तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए ही दंड का प्रावधान किया गया है। जिसमें सरकारी ही नहीं कोई भी निजी डॉक्टर या पैरामेडिकल स्टाफ इलाज से मना नहीं कर सकता है। वहीं डॉक्टर मरीज की जानकारी और दवा विक्रेता टीबी से संबंधित शेड्यूल एच-1 की दवाओं की बिक्री की जानकारी नहीं छुपा सकते हैं। ऐसा करने पर तीन साल तक की सजा और तीन लाख रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।