एकल खिड़की से फर्द-खतौनी को मारामारी

एटा, जासं। केंद्र सरकार की किसान सम्मान योजना ने किसानों को संशय में डाल दिया है। फर्द और खतौनी मिलती नहीं, योजना का लाभ कैसे मिलेगा, इसे लेकर वे परेशान हैं। तहसील सदर में दूरदराज देहात और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले किसानों की लंबी लाइनें दिनभर लगी रहती हैं। मगर घंटों इंतजार के बाद भी बहुत से हाथ फर्द और खतौनी से खाली रह जाते हैं। ऐसे किसानों को वक्त के साथ आर्थिक और अन्य कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Feb 2019 12:18 AM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2019 12:18 AM (IST)
एकल खिड़की से फर्द-खतौनी को मारामारी
एकल खिड़की से फर्द-खतौनी को मारामारी

एटा, जासं। केंद्र सरकार की किसान सम्मान योजना ने किसानों को संशय में डाल दिया है। फर्द और खतौनी मिलती नहीं, योजना का लाभ कैसे मिलेगा, इसे लेकर वे परेशान हैं। तहसील सदर में दूरदराज देहात और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले किसानों की लंबी लाइनें दिनभर लगी रहती हैं। मगर घंटों इंतजार के बाद भी बहुत से हाथ फर्द और खतौनी से खाली रह जाते हैं। ऐसे किसानों को वक्त के साथ आर्थिक और अन्य कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।

शुक्रवार को तहसील सदर में स्थित फर्द और खतौनी को बनाए गए काउंटर की एकल खिड़की पर कुछ ऐसा ही नजारा रहा। सुबह के 9 बजे खिड़की बंद थी, मगर पहले से ही गांव और देहात के किसानों की फर्द और खतौनी पाने को लंबी कतार लगी थी। यह क्रम योजना की घोषणा के बाद से लगातार बना हुआ है, लेकिन तहसील प्रशासन द्वारा अतिरिक्त काउंटर न बनाए जाने के कारण यहां एकल खिड़की पर लगने वाली भीड़ छंटने का नाम नहीं ले रही। किसानों की यह हालत देख दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। वे फर्द और खतौनी के नाम पर किसानों से 50 से 100 रुपये तक लेकर उनके काम करा रहे हैं। मजबूर किसान घंटों इंतजार से बचने और लाइन में लगे होने से निजात पाने के लिए ऐसे दलालों को राशि मुहैया कराने में भी कोई कोताही नहीं बरत रहे। तहसीलदार दुर्गेश कुमार यादव का कहना है कि फर्द और खतौनी के लिए 15 रुपये शुल्क निर्धारित है, इससे अधिक कोई भी मांगे, कतई न दें, दलालों से भी सावधान रहें। किसानों की सुविधा को जल्द इंतजाम किए जाएंगे। क्या कहते हैं किसान

साहब ऐसे तो दिनभर खड़े रहेंगे, लेकिन खतौनी या फर्द नहीं मिल पाएगी। अच्छा है 100-50 रुपये देकर कम से कम निपट तो जाएंगें। बदन¨सह

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समय की बर्बादी से बचने के लिए दलालों का सहारा लेना पड़ रहा है। अतिरिक्त इंतजाम होते तो फर्द और खतौनी को परेशानी न उठानी पड़ती। महावीर ¨सह

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दो दिन में भी फर्द और खतौनी नहीं मिल पाई है। गांव से आते ही लाइन में लग जाते हैं, लेकिन खाली हाथ ही वापस जाना पड़ता है।

सोनिल उपाध्याय

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तहसील में अव्यवस्थाओं का बोलवाला है। शिकायतों के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही, न हीं इंतजाम किए जा रहे हैं।

सोनपाल ¨सह

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