ड्रेस का सामान पूरा, बच्चों का हुलिया अधूरा

समय सुबह 10 बजे। शहर का सुभाषचंद्र बोस प्राथमिक विद्यालय। बच्चे जमीन पर ि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 10:54 PM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 06:05 AM (IST)
ड्रेस का सामान पूरा, बच्चों का हुलिया अधूरा
ड्रेस का सामान पूरा, बच्चों का हुलिया अधूरा

एटा, जागरण संवाददाता:

समय: सुबह 10 बजे। शहर का सुभाषचंद्र बोस प्राथमिक विद्यालय। बच्चे जमीन पर बिछी चटाइयों पर बैठे हैं। कुछ के पैरों में चप्पल हैं तो कुछ बिना स्वेटर के हैं। कक्षा के बाहर जूते-चप्पलों का ढेर लगा है। सर्दियां शुरू हो गई हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में अभी भी तमाम छात्र स्कूल ड्रेस में नहीं पहुंच रहे हैं। यह स्थिति तब है जबकि जिले के सभी प्राथमिक स्कूल में ड्रेस बांटी जा चुकी हैं। आठ में से छह ब्लॉक के जूनियर स्कूलों में स्वेटर बांटे जा चुके हैं।

तय ड्रेस में क्यों नहीं आ रहे। बच्चों की तरह उनके जवाब भी बड़े मासूम हैं। चप्पल पहने सुमित ने बताया कि जूते उतारने पर खो जाते हैं, क्योंकि सभी के एक जैसे हैं। लक्ष्मीबाई प्राथमिक विद्यालय में जूते-मौजे बंटने के बाद 30 फीसद बच्चे चप्पल पहने थे।

जलेसर के बचेपुरा में बच्चों को दो-दो ड्रेस बांटी जा चुकी हैं। फिर भी कुछ बच्चे नई के बजाय पुरानी तो कुछ कुछ बिना ड्रेस भी थे। अभिषेक का कहना था कि मम्मी ने एक नई ड्रेस बक्से में रख दी है। अलीगंज के झकरई में कुछ बच्चों को दूसरी ड्रेस नहीं मिली है। बताया गया कि जो बच्चे काफी दिन से गायब थे, उन्हें नियमित करने के लिए ड्रेस रोकी गई है।

ज्यादातर स्कूलों में ड्रेस बट चुकी है। इसके बावजूद बच्चों का हाल यह है कि वह एक नई और एक पुरानी ड्रेस का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें अधिकांश निम्न आर्थिक स्तर वाले परिवारों के बच्चे हैं। अधिकांश सरकारी स्कूलों में बच्चे जमीन पर टाट या पट्टियों पर बैठते हैं। इस कारण उन्हें जूते बार-बार उतारने और पहनने पड़ते हैं। एक स्थान पर एक जैसे ही जूते रखने की स्थिति में खोने का डर रहता है। इसी कारण तमाम बच्चे चप्पलें ही पहनकर आ जाते हैं। दो ब्लॉक के जूनियर हाईस्कूलों में करीब 14 हजार बच्चों को अभी स्वेटर नहीं मिल सके हैं। एडी बेसिक ने भी दी थी चेतावनी

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पिछले माह निरीक्षण को आए एडी बेसिक अलीगढ़ डॉ. इंदप्रकाश सिंह सोलंकी ने जलेसर और निधौली क्षेत्र के स्कूलों का निरीक्षण किया तो बच्चों ने जूते-मौजे व ड्रेस मिलने की बात तो स्वीकारी, लेकिन उन्हें भी पहनकर न आने के कई कारण बता दिए। एडी ने शिक्षकों को इस मामले पर गंभीरता दिखाने को कहा था। ---------

'जिले में ड्रेस वितरण सौ फीसदी हो चुका है। शिक्षकों को कहा गया है कि वह स्थितियां परखकर ड्रेस कोड का पालन कराएं। अभिभावकों को शिकायत हो तो अवगत कराएं।'

- संजय सिंह, बीएसए एटा

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