अतिक्रमण के जाल में फंसा है घंटाघर, पालिका-प्रशासन खामोश

जागरण संवाददाता, एटा: ऐतिहासिक घंटाघर को अतिक्रमणकारियों ने कैद कर रखा है। वार्ड 14 के अंतर्गत आन

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 May 2017 10:56 PM (IST) Updated:Tue, 30 May 2017 10:56 PM (IST)
अतिक्रमण के जाल में फंसा है घंटाघर, पालिका-प्रशासन खामोश
अतिक्रमण के जाल में फंसा है घंटाघर, पालिका-प्रशासन खामोश

जागरण संवाददाता, एटा: ऐतिहासिक घंटाघर को अतिक्रमणकारियों ने कैद कर रखा है। वार्ड 14 के अंतर्गत आने वाला शहर का ये हृदय स्थल वर्षों से अतिक्रमण से मुक्ति मांग रहा है। मगर, इस काम को न तो कोई सभासद अब तक करा पाया है और न ही पालिका और जिला प्रशासन ही हिम्मत जुटा पाया है। घंटाघर का गुंबद भी गिरासू हालत में है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

घंटाघर इलाका पहले जैसा था वैसा आज भी है। इस इलाके की आधी सड़कें अतिक्रमणकारियों ने घेर रखी हैं। शहर के सेंटर प्वाइंट समझे जाने वाले घंटाघर मैनगंज वार्ड 14 में अरसे से सीवर की समस्या है। यहां की गली में जो सीवर प्वाइंट बना हुआ है, वह वर्षों से चौक पड़ा है। उसकी कभी सफाई नहीं होती। यह सीवर आगरा चुंगी, बस स्टैंड, करबला गली, धानमील गली, महाराणा प्रताप नगर और गांधी मार्केट से जुड़ा है। इसलिए इन इलाकों का पानी इसी सीवर से होकर घंटाघर पर भर जाता है। निकासी का कोई साधन न होने के कारण मेहता पार्क, बली मोहम्मद चौराहा के सीवर का पानी भी मेहतापार्क-घंटाघर रोड को अपने आगोश में ले लेता है। वहीं वार्ड में 165 स्ट्रीट लाइट लगी हैं, लेकिन कुछ गलियां आज भी अंधेरे में डूबी रहती हैं। घंटाघर के गुंबद में दरार पड़ चुकी है। एक बार सब्जी विक्रेता के सिर पर इसका कुछ हिस्सा टूटकर गिर चुका है, जिससे वह जख्मी हो गया था।

हैंडपंप का रीबोर नहीं

इस वार्ड में कुल 43 हैंडपंप हैं, जिनमें से एक हैंडपंप खराब पड़ा है, लेकिन उसका रीबोर नहीं हुआ है। इसे ठीक कराने के लिए पालिका को लिखा गया, लेकिन अब तक काम नहीं हो पाया है।

नहीं मिलती पालिका की वॉटर सप्लाई

वार्ड में पालिका की पेयजल सप्लाई के लिए घर-घर कनेक्शन भी हैं। मगर वर्षों पुरानी पाइप लाइनें डैमेज हो गई है। टंकियों में पानी की आपूर्ति नहीं होती। स्थानीय बाशिंदों ने कई बार इसकी शिकायत नगर पालिका प्रशासन से की है।

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वार्ड प्रोफाइल

कुल वोटर- 3100

कुल आबादी- 7500

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जनता बोली, वार्ड है महत्वपूर्ण, विकास में मिला सहयोग

- ये वार्ड शहर का सबसे महत्वपूर्ण वार्ड हैं। क्योंकि इससे शहर की लगभग सभी मुख्य बाजार संबद्ध हैं, लेकिन फिर भी विकास के लिए वार्ड को सहयोग नहीं मिलता।

विवेक जैन

- सीवर लाइन की देखरेख के लिए कम से कम चार कर्मचारी चाहिए, लेकिन इस वक्त सिर्फ एक ही कर्मचारी काम कर रहा है। यही वजह है कि सीवर लाइन चौक रहती है।

पुलकित

- वार्ड में पूर्व में पालिका ने जो भी लघुशंकालय बनवाए थे, वे सब बंद करा दिए गए हैं। वार्ड में नए लघुशंकालय बनने चाहिए, क्योंकि यहां बाजार व्यस्त रहता है।

कैलाश चंद्र

- जब तक प्रबल इच्छा शक्ति के साथ वार्ड का विकास नहीं किया जाएगा, तब तक यह क्षेत्र नहीं चमकेगा। मनमानी से बाजारों की सुंदरता को ग्रहण लग चुका है।

सुरेश बाबा

- स्ट्रीट लाइट के लिए जब भी ईओ से संपर्क करते हैं, तो कह दिया जाता है कि पालिका के पास सीएफएल के लिए बजट नहीं है, जो सामान था, वह खत्म हो चुका है।

सीमा

- वार्ड में एक ही पार्क मेहता पार्क है। बच्चों के खेलने के लिए यह एक अच्छा स्थान है, लेकिन कई साल से यह पार्क उजड़ा हुआ है। इसका जीर्णोद्धार होना चाहिए।

मीना

- अतिक्रमणकारियों ने घंटाघर, मैनगंज, बांस मंडी, सुभाषमूर्ति सब्जी मंडी, बाबूगंज आदि स्थानों को अपनी चपेट में ले लिया है। इन पर प्रभावी कार्रवाई होनी चाहिए।

कविता

- वार्ड में जलभराव की समस्या सबसे ज्यादा है। इस समस्या का निराकरण तब ही हो सकता है, जब पालिका प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय होकर वार्ड का विकास कराए।

सरोज देवी

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वार्ड में सात स्ट्रीट लाइटें खराब हैं, इसके लिए पालिका से लाइटें मांगी गईं, लेकिन नहीं मिलीं। मेहता पार्क के सुंदरीकरण के लिए कई बार प्रस्ताव दिए गए थे, लेकिन अब ये मंजूर हो चुका है और 75 लाख रुपये की लागत से इस पार्क का विकास किया जाएगा। किनारी बजार की दुकानों में जो 9 झीने बंद पड़े हैं, वह पालिका ने किए हैं। इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है।

सुजीत देव वाष्र्णेय, सभासद

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