रोजमर्रा की गतिविधियों पर रहा चुनावी असर
जागरण संवाददाता, एटा : चुनाव की सरगर्मी प्रचार थमने के बाद से ही शांत हो गई। प्रचार का शोर-शराबा बुधवार को कहीं नजर नहीं आया। प्रचार थमने के बाद रोजमर्रा की गतिविधियां चुनावी अवकाश में हलचल विहीन हो गई। चुनाव संबंधित कार्यालयों में ही हलचल रही। वहीं बाजारों की रौनक भी गायब सी हो गई।
सरकारी कार्यालयों की रौनक उसी दिन से फीकी हो गई थी, जब उनके कर्मचारियों की ड्यूटी लोकसभा चुनाव में लगाई गई थी। चुनाव ड्यूटी को लेकर कर्मचारी इतने परेशान थे कि उनका मन भी कामकाज में नहीं लगा। करीब पन्द्रह दिन पहले से ये चुनावी ड्यूटी में व्यस्त हो गए। दो दिन का समय उन्हे ड्यूटी प्रपत्र प्राप्त करने में लग गया। जबकि तीन दिन उन्हे लगातार प्रशिक्षण के लिए हाजिरी देनी पड़ी। इसके बाद तो कर्मचारी सिर्फ एक दो दिन ही अपने कार्यालय के कामकाज पर ध्यान दे पाए।
बुधवार से कर्मचारियों की मतदान केन्द्रों पर रवानगी का सिलसिला शुरू हो गया। पोलिंग बूथों पर बसों के माध्यम से पहुंचे मतदान कार्मिकों ने अपनी-अपनी ड्यूटी बुधवार को ही संभाल ली। ड्यूटी पर रवानगी से पूर्व इन कर्मचारियों को इस तरह तैयारी करते देखा गया मानो वे किसी युद्ध पर जा रहे है। इनके परिजन भी भोर में ही वस्त्र, भोजन व आवश्यक सामग्री की तैयारी में जुट गए। निर्धारित स्थानों पर ड्यूटी पर गए कार्मिक सोने-बिछाने के लिए चटाई आदि भी साथ ही लाए। बैंकें व अन्य संस्थान भी बंद रहे। इन दिनों सहालगों का दौर चल रहा है, फिर भी चुनावों के चलते शहर के बाजार सूने-सूने नजर आए। बाजारों में भीड़ न जुटने से रोजमर्रा की गतिविधियां भी चुनाव की धमाचौकड़ी में दबी सी नजर आई।