बच्चों की मौत के बाद टूटी थी स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती

By Edited By: Publish:Sat, 25 May 2013 07:41 PM (IST) Updated:Sat, 25 May 2013 07:44 PM (IST)
बच्चों की मौत के बाद टूटी थी स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती

निज प्रतिनिधि, एटा: स्वास्थ्य विभाग की नींद समय से टूट गई होती तो गुलरिया में हैजे का प्रकोप कहर बनकर न टूटता। शुक्रवार को पांचवें दिन जिला मुख्यालय स्थित संक्रामक रोग नियंत्रण कक्ष से चिकित्सकों की टीम को गांव भेजा गया।

सकीट विकासखंड के गांव गुलरिया में 19 मई को शादी की दावत के बाद से बीमारी का प्रकोप शुरू हुआ। गांव वाले कुछ समझ भी न पाये थे कि 20 मई की रात नंदकिशोर के 13 वर्षीय पुत्र आकाश की मौत हो गई। इसके बाद सकीट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से स्वास्थ्य कर्मचारियों की एक टीम को भेजकर दवा वितरण शुरू कराया गया। लेकिन 23 मई की रात दिनेश चंद्र के 6 वर्षीय पुत्र सुमित ने भी दम तोड़ दिया। इसके बाद 24 मई को मुख्यालय से डॉ. ध्रुवेंद्र भदौरिया, डॉ. एके भाष्कर और डॉ. अभिनव दुबे की टीम ने गांव पहुंचकर जायजा लिया। जहां तीन लोगों की हालत चिंताजनक मिली। वहीं तीन अन्य का उपचार पड़ोसी गांव नाजिरपुर में एक झोलाछाप चिकित्सक के यहां चल रहा था। इनको टीम ने एंबुलेंस से जिला चिकित्सालय लाकर भर्ती कराया। जहां से स्वस्थ होने के बाद पांच लोग शाम को और एक बच्ची शनिवार की सुबह वापस चली गई। उधर, गांव में रोगियों की हालत चिंता से बाहर बताई गई है। सकीट पीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. डीके सिंह ने बताया कि 22 लोगों को अभी भी एहतियात के तौर पर दवा दी जा रही है। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि गांव में टीमें लगातार कैंप कर स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं।

एक चिकित्साधिकारी पर ही पूरी जिम्मेदारी

भले ही दो बच्चों की मौत हो गई। दो दर्जन से अधिक लोग बीमारी के प्रकोप से जूझ रहे हैं। लेकिन यहां किसी अतिरिक्त चिकित्सक की ड्यूटी नहीं लगाई गई। गांव में रात-दिन कैंप करने के लिए टीमें तो दो बनाई गई हैं, लेकिन दोनों के चिकित्साधिकारी एक ही हैं।

पानी की जांच में भी छुट्टी की आंच

संक्रमण की वजह जानने के लिए गांव के हैंडपंपों के पानी की जांच सरकारी छुट्टियों के कारण अटक गई। गांववालों का कहना था कि हैंडपंप से दूषित पानी आता है जो संक्रमण की वजह हो सकता है। इस पर टीम ने गांव से चार हैंडपंपों के पानी के सैंपल एकत्र किये हैं। सोमवार को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय खुलने पर ही जांच हो सकेगी।

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