शहीद स्मारक की सुरक्षा को लेकर जनप्रतिनिधियों व अफसरों की बेफिक्री
देवरिया प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की लड़ाई में अंग्रेजों से मुकाबला करने वाले जिले के पैना ग
देवरिया: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की लड़ाई में अंग्रेजों से मुकाबला करने वाले जिले के पैना गांव के अमर शहीदों की याद में बनाए गए शहीद स्मारक को सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर से खतरा है। इसके बावजूद अभी तक बचाव के इंतजाम नहीं किए गए हैं। गांव के लोग नदी के कटान से चितित हैं। इसको लेकर न तो अफसरों ने चिता की और न ही जनप्रतिनिधियों ने।
हाल यह है कि शहीद स्मारक से करीब 50 मीटर की दूरी पर नदी बह रही है। नदी तट पर सीसी रोड तो बनाई गई है लेकिन नदी की धारा को मोड़ने का इंतजाम नहीं होने से शहीद स्मारक तक बाढ़ का पानी आ सकता है। इसके लिए अभी तक कोई खास इंतजाम नहीं किया गया गया है।
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नदी की कटान रोकने के प्रस्ताव पर बेफिक्री:
तत्कालीन विधायक प्रेमप्रकाश सिंह ने 1997 में शहीद स्मारक की सुरक्षा को देखते हुए प्रदेश सरकार के बाढ़ विभाग को नदी के तट पर ठोकर बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा था। लेकिन सरकार जाने के बाद प्रस्ताव को विभाग ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिसका नतीजा यह है कि शहीद स्माकर पर बाढ़ के दिनों में कटान का खतरा मंडराता है। 1998 की बाढृ में पानी शहीद स्मारक परिसर में आ गया था। उसका चबुतरा डूब गया था। इस बार फिर नदी की धारा मुड़ने से खतरा मंडरा रहा है।
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शहीद स्मारक की सुरक्षा के लिए ठोकर बनाए जाने की जरूरत है। ठोकर बनने से नदी की धारा को मोड़ा जा सकता है। इसके लिए प्रशासन से मांग की गई है।
रवि प्रताप सिंह
ग्राम प्रधान पैना
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शहीद स्मारक के साथ सती मंदिर की सुरक्षा के लिए प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधियों को भी नदी की धारा मोडने के लिए ठोकर बनाकर शहीद स्मारक की सुरक्षा करें। यहां की वीरगाथा सभी को प्रेरणा देती हैं।
इसरावती देवी
सती रत्ना के स्वजन
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