देवरिया कांडः दीदी, लग्जरी कार व वीआइपी पर रहस्य बरकरार
वह लग्जरी कार जो शाम होते ही संस्था के गेट पर खड़ी रहती थी, लड़कियां किस वीआइपी के पास जाती थीं, ये सवाल अभी तक अनसुलझे हुए हैं।
देवरिया (जेएनएन)। बालगृह बालिका कांड में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एसआइटी की विवेचना पर सवाल उठने लगे हैं। पांच दिनों से इस मामले की पड़ताल कर रही एसआइटी के पास अब तक कोई महत्वपूर्ण सुराग हाथ नहीं लगा है। टीम अब तक न तो उस पीडि़त लड़की को खोज पाई, जिसे शहर से बाहर भेजा जाता था, न ही वह लग्जरी कार जो शाम होते ही संस्था के गेट पर खड़ी रहती थी, लड़कियां किस वीआइपी के पास जाती थीं, ये सवाल अभी तक अनसुलझे हुए हैं। हाईकोर्ट द्वारा एसआइटी रिपोर्ट पर असंतोष जताने के बाद अब जांच में तेजी आने के आसार दिखने लगे हैं।
देवरिया कांड के पर्दाफाश के बाद बिहार की रहने वाली एक किशोरी ने पुलिस को बताया था कि संस्था में रहने वाली दीदी को अक्सर लाल, काली व सफेद बड़ी गाड़ी में बाहर भेजा जाता था। शाम के समय यह गाडिय़ां आती थी और सुबह दीदी को छोड़ जाती, इस दौरान दीदी अक्सर आंसू लेकर लौटतीं।
पर्दाफाश के बाद किशोरी के इस बयान को विवेचक रहे कोतवाल वीके सिंह गौर ने भी तस्दीक नहीं किया। एसआइटी भी दीदी के आंसुओं के रहस्य को सुलझा नहीं पाई। एक भी पीडि़त अभी तक टीम के सामने नहीं आया, जो यह कहे कि मेरे साथ इस तरह की घटना हुई है। लगभग दस दिन बीत चुके हैं, कहानी पर रहस्य बरकरार है।
संस्था में आने-जाने वाली लग्जरी कार से भी पर्दा नहीं हट पाया है। हालांकि मंगलवार को संस्था की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी के संपर्क में रहने वाले गाड़ी मालिक, चालक से एसआइटी ने पूछताछ कर इस रहस्य से पर्दा उठाने का प्रयास किया।
बाल गृह बालिका के आस-पास लगभग पांच सौ मीटर की परिधि में आने वाले सभी सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को खंगाला जा रहा है, जिससे संस्था पर आने वाले वीआइपी के बारे में जानकारी हासिल हो सके। इसके अलावा एसटीएफ भी सर्विलांस की मदद से संदिग्ध नंबरों के जरिये संदिग्ध लोगों तक पहुंचने में जुटी है।