देवरिया कारागार में छह घंटे काम के बदले मिलते हैं महज 25 रुपये

जेल अधीक्षक केपी त्रिपाठी ने बताया कि पारिश्रमिक राशि बढ़ाने के लिए कई बार उच्चाधिकारियों ने प्रस्ताव भेजा है। लेकिन अभी तक पारिश्रमिक बढाने के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 01:41 AM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 01:44 AM (IST)
देवरिया कारागार में छह घंटे काम के बदले मिलते हैं महज 25 रुपये
देवरिया कारागार में छह घंटे काम के बदले मिलते हैं महज 25 रुपये

देवरिया: मनरेगा मजदूरों के साथ अन्य मजदूरों की भी मजदूरी बढ़ रही है, लेकिन जिला कारागार में छह घंटे तक पसीना बहाने वाले कैदियों के पारिश्रमिक में वर्षों से बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। आज भी उनको महज 25 रुपये ही मिलते हैं। कई बार पारिश्रमिक चार गुना बढ़ाने की सिफारिश भी की गई, लेकिन बढ़ोत्तरी नहीं हुई। जिला कारागार में बंदी व कैदी से काम लिया जाता है। कैदी को काम करना जरुरी होता है तो बंदी की स्वेच्छा पर निर्भर होता है। काम करने वाले कैदियों की तीन श्रेणी होती है। एक जो काम जानते ही नहीं, उन्हें काम सिखाया जाता है। दूसरे जो आधा-अधूरा जानते हैं। तीसरे जो पूरी तरह पारंगत होते हैं। मजदूरी करने वाले कैदी को 25, अ‌र्द्ध कुशल कैदी को 30 रुपये तथा कुशल कारीगर को 35 रुपये पारिश्रमिक दिया जाता है।

जेल अधीक्षक केपी त्रिपाठी ने बताया कि पारिश्रमिक राशि बढ़ाने के लिए कई बार उच्चाधिकारियों ने प्रस्ताव भेजा है। लेकिन अभी तक पारिश्रमिक बढाने के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला है। खेतों में भी काम करने की होती है जिम्मेदारी

कैदियों से खाना बनाने, सब्जी उगाने, खेतों में कार्य करने, सफाई, अंदर बैरकों में टूटे फर्श का प्लास्टर, नाली निर्माण समेत अन्य कार्य कराए जाते हैं। कारागार में लगभग 1700 बंदी व कैदी हैं। खास बात यह है कि यहां बैरकों में बंद हर कैदी कार्य करने को तैयार रहता है, लेकिन जेल प्रशासन 160 से अधिक कैदी से मजदूरी नहीं करा सकता है। मजदूरी का भुगतान जेल प्रशासन चेक द्वारा चार से पांच माह पर करता है।

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