मासूम आराध्या ने पोछे मां के आंसू तो भर आईं आंखें

जम्मू कश्मीर में आतंकी घटना में शहीद हुए विजय कुमार मौर्य की शहादत से चहुंओर मातम छाया है। शहीद की पत्नी फूट-फूट कर रो रही थी, इस बीच विजय व उसके प्यार की आखिरी निशानी एक साल की मासूम आराध्या की तरफ देखती तो चुप हो जाती। कारण आराध्या अपनी मां को रोते हुए देखती तो वह भी रोने लगती। यह मां अपने कलेजे के टुकड़े को चुप कराने के लिए अपने कलेजे पर पत्थर रख चुप हो जाती

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Feb 2019 12:20 AM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2019 12:20 AM (IST)
मासूम आराध्या ने पोछे मां के आंसू तो भर आईं आंखें
मासूम आराध्या ने पोछे मां के आंसू तो भर आईं आंखें

देवरिया : जम्मू कश्मीर में आतंकी घटना में शहीद हुए विजय कुमार मौर्य की शहादत से चहुंओर मातम छाया है। शहीद की पत्नी फूट-फूट कर रो रही थी, इस बीच विजय व उसके प्यार की आखिरी निशानी एक साल की मासूम आराध्या की तरफ देखती तो चुप हो जाती। कारण आराध्या अपनी मां को रोते हुए देखती तो वह भी रोने लगती। यह मां अपने कलेजे के टुकड़े को चुप कराने के लिए अपने कलेजे पर पत्थर रख चुप हो जाती। फफक कर बोल पड़ी आराध्या विजय के खुशियों की संसार है। इसे वह कभी रोते नहीं देख सकते थे, तो मैं इसे कैसे रोने दूं। इसके बाद भी आंसू नहीं रुकते हैं और मां मुंह घुमा कर रोती है तो मासूम बेटी अपनी मां के आंसू पोछती है। वह उसे अपने सीने से लगाकर फिर बिलखने लगती है। यह ²श्य देख सभी की आंखें भर आईं।

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घर में परिवार की, सीमा पर देश की जिम्मेदारी

देवरिया: देवरिया के छपिया जयदेव निवासी विजय कुमार मौर्य पर घर में परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ था तो सीमा पर देश के सुरक्षा की भी जिम्मेदारी का बखूबी उन्होंने निर्वहन किया। उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी ने रुंधे हुए गले से बिलखते हुए बताया कि पूरे घर की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधे पर थी। सीआरपीएफ में भर्ती होने के बाद मकान का निर्माण शुरू कराए जो निर्माणाधीन है। अपनी शादी में खर्च किए उसके बाद उनकी मां दो वर्ष पूर्व चल बसी। विजय कभी भी फर्ज से पीछे नहीं हटे, ड्यूटी को देश सेवा मानकर करते थे। देश सेवा में कभी घर की जिम्मेदारियों को आड़े नहीं आने दिए।

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विपरीत परिस्थितियों में भी मुस्कुराना था शगल

विजय कुमार मौर्य की प्राथमिक शिक्षा गांव में हुई। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट सुबास इंटर कालेज भटनी से द्वितीय श्रेणी व बीए, एमए मदन मोहन मालवीय पीजी कालेज भाटपाररानी से द्वितीय श्रेणी में पास किए, उसके बाद सीआरपीएफ में भर्ती हुए। विपरीत परिस्थितियों में मुस्कुराना शगल था उनका।

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