पर्यावरण पर बढ़ता संकट ¨चता का विषय : प्रो.आरपी शुक्ल

देवरिया : मदन मोहन मालवीय पीजी कालेज में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं प्रबंधन विषयक दो दिवसीय र

By Edited By: Publish:Tue, 25 Oct 2016 11:36 PM (IST) Updated:Tue, 25 Oct 2016 11:36 PM (IST)
पर्यावरण पर बढ़ता संकट ¨चता का विषय : प्रो.आरपी शुक्ल

देवरिया : मदन मोहन मालवीय पीजी कालेज में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं प्रबंधन विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी मंगलवार को शुरू हुई। मुख्य अतिथि गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के अध्यक्ष प्रो.आरपी शुक्ल ने कहा कि पर्यावरण पर बढ़ता संकट ¨चता का विषय है। वैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए उन्होंने नान रिन्यूवल रिसोर्सेज का सही प्रयोग करने पर बल दिया और कहा कि कचरा प्रबंधन के भूमिका को विस्तार देने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है। इसे समझें और अपने दायित्व का निर्वहन करें। विशिष्ट अतिथि गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो.शरद मिश्र ने कहा कि युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा में लगाना होगा। ऐसा करने के बाद ही हम विकसित राष्ट्र की कल्पना को साकार कर भारत को विश्व गुरु के पद पर एक बार फिर पहुंचा सकते हैं। प्रकृति ने हमें जो कुछ दिया है नेचुरल रिसोर्सेज के दायरे में आता है। हमें प्रकृति के साथ हो रहे छेड़छाड़ को रोकना होगा। इसके लिए लोगों में जागरूकता फैलानी होगी। संक्रमण के इस दौर में युवाओं की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। पृथ्वी के पौधों की एक प्रजाति विलुप्त होती है तो वह अपने से जुड़ी कई चीजों को साथ लेकर चली जाती है। लुप्त हो रहे पौधों का संरक्षण अत्यंत जरूरी है। अध्यक्षता कर रहे गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो. रामअचल ¨सह ने कहा कि अहंकार मनुष्य को विनाश की तरफ ले जाता है। पर्यावरण सत्य के साथ रहता है। हम अच्छा करते है तो धर्म बन जाता है और जब बुरा करते हैं तो वह अधर्म बन जाता है। प्रकृति भी हमेशा सत्य का साथ देती है। विचार के अलावा हमें कार्य भी करना चाहिए। सिर्फ विचार करते रहे तो इससे काम बनने वाला नहीं है। इसके पूर्व अतिथियों ने द्वीप प्रज्ज्वलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया। संगोष्ठी में स्मारिका का विमोचन भी किया गया। अंत में प्राचार्य डा. देवेंद्र प्रताप मिश्र ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राजा बस अपने राज्य में पूजा जाता है लेकिन विद्वान की पूजा हर काल समय में होती है।

संगोष्ठी को प्रदीप उपाध्याय, डा.रामऔतार, डा. राकेश कुमार, डा.ओपी शुक्ल, डा.शिवानंद गुप्त प्राचार्य, डा.अमरेश ¨सह, डा विनीत कुमार पांडेय, डा. विनीत यादव, डा.अवनीत ¨सह, डा. राजेंद्र प्रसाद ओझा, डा. रतन बिहारी मिश्र, उमेशचंद्र मिश्र, डा.सुधीर शुक्ल, डा.कमलेश नारायण मिश्र, डा. हेमंत कुमार, डा.सुशील पांडेय आदि ने संबोधित किया।

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