जान के दुश्मन बने झोला छाप

देवरिया : विभाग की उदासीनता के चलते कछार क्षेत्र के डेढ़ लाख की आबादी का इलाज झोला छाप चिकित्सकों क

By Edited By: Publish:Thu, 25 Aug 2016 11:11 PM (IST) Updated:Thu, 25 Aug 2016 11:11 PM (IST)
जान के दुश्मन बने झोला छाप

देवरिया : विभाग की उदासीनता के चलते कछार क्षेत्र के डेढ़ लाख की आबादी का इलाज झोला छाप चिकित्सकों के भरोसे है। वह ग्रामीण इलाकों में नीम हकीम खतरे जान की तर्ज पर मरीजों का उपचार कर उनसे मनमाना पैसा वसूल करते हैं।

कछार के सरांव व पचलड़ी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राम भरोसे चल रहा है। इसका नाजायज फायदा झोला छाप चिकित्सक उठा रहा है। जिनके पास न तो डिग्री है और नहीं दवा बेचने का लाइसेंस, सब विभाग के रहमोकरम पर चल रहा है। जिम्मेदार इनकी जांच भी नहीं करते। जिसके चलते उनके हौसले बुलंद हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर संसाधन का टोटा है और चिकित्सकों की तैनाती भी नहीं है। ऐसे में मरीज व तीमारदार झोला छाप चिकित्सकों के हाथों रोजाना ठगे जा रहे हैं। खास बात यह है कि झोला छाप चिकित्सक किसी प्रकार के गंभीर रोग का इलाज करने से बाज नहीं आते। कई स्थानों पर मरीजों की जान भी जान चुकी है। एक पखवारे पूर्व क्षेत्र के एक गांव में एक झोला छाप चिकित्सक द्वारा एक बच्चे को सूई लगाने के कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। मामला बढ़ता कि किसी तरह सलटा लिया गया। क्षेत्र के एकौना, पचलड़ी, पकड़ी बाजार, सुदामा चौराहा, बैरिया घाट, खोरमा, लुहठही, वनस्पति, निबही, कुरैती, सरांव, उसरा बाजार, कोईलगढ़हा सहित दर्जनों स्थानों पर झोला छाप चिकित्सकों की भरमार है, जो ग्रामीण इलाकों की जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। शिकायत के बाद भी इनके खिलाफ विभाग कार्रवाई करने से कतराता है।

इस संबंध में पूछे जाने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डा.आरपी यादव ने कहा कि विभाग के पास इनकी सूची उपलब्ध है। शीघ्र ही अभियान चलाकर इनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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