बाल विवाह सामाजिक अपराध

By Edited By: Publish:Sat, 26 Jul 2014 09:53 PM (IST) Updated:Sat, 26 Jul 2014 09:53 PM (IST)
बाल विवाह सामाजिक अपराध

देवरिया: बाल विवाह एक सामाजिक अपराध है। बालिकाओं का विवाह कम उम्र में होने से जनसंख्या वृद्धि तो होती ही है महिलाओं को अनेक शारीरिक परेशानियों को झेलना पड़ता है। इसे रोका जाना चाहिए और यह तभी संभव है जब समाज जागरुक होगा।

यह बातें शनिवार को प्रो. लारी आजाद ने कही। वह ब्लाक संसाधन केंद्र में राष्ट्रीय महिला आयोग के तत्वाधान में श्याम कवि लोक कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय बाल विवाह निषेध सेमिनार के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। नगर शिक्षा अधिकारी सीमा पांडेय ने कहा कि बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए समाज के अग्रणी और बौद्धिक लोगों को आगे आना चाहिए। जिला विज्ञान क्लब के समन्वयक अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र में शादी करने पर बालिकाओं का शरीर पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता और जच्चा तथा बच्चा दोनों की जान को खतरा रहता है। सचिव नित्यानंद शर्मा में बाल विवाह और कम उम्र में मां बनते समय मां-बच्चे की हो रही मौतों का आंकड़ा सिलसिलेवार रखा।

कार्यक्रम को एबीआरसी विनोद मिश्र, ब्लाक समन्वयक लियाकत अहमद, नागेन्द्र शर्मा, प्रताप नारायण पटेल, प्रधानाचार्य इन्द्र कुमार दीक्षित, मदन मिश्र, हरदयाल सिंह होरा, रामनगीना यादव नित्यानंद राय, कृष्ण कुमार सिंह, संजय पति त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया।

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