दुर्लभ गिद्धों को पाठा के जंगलों में मिली जिंदगी

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : विलुप्त होते देशी-विदेशी दुर्लभ गिद्धों को इन दिनों पाठा इलाक

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Oct 2018 10:25 PM (IST) Updated:Fri, 26 Oct 2018 10:25 PM (IST)
दुर्लभ गिद्धों को पाठा के जंगलों में मिली जिंदगी
दुर्लभ गिद्धों को पाठा के जंगलों में मिली जिंदगी

जागरण संवाददाता, चित्रकूट :

विलुप्त होते देशी-विदेशी दुर्लभ गिद्धों को इन दिनों पाठा इलाके के जंगल भा रहे हैं। करीब 99 फीसद गिद्धों की आबादी खत्म होने के बीच यहां के जंगलों में इनका बसेरा देख वन विभाग के अफसर उत्साहित हैं। पर्यावरण के लिहाज से धरती के सफाईकर्मी कहे जाने वाले गिद्धों के कई झुंड पाठा में दिखने से यहां बनने वाले रानीपुर वन्य जीव नेशनल पार्क का आकर्षण और बढ़ने की उम्मीद जगी है। मानिकपुर तहसील में नेशनल पार्क बनने पर इन दुर्लभ गिद्धों का संवर्धन और संरक्षण बेहतर तरीके से हो सकेगा। वन विभाग इसके लिए योजना बना रहा है।

कई झुंड, दो से ढाई सौ संख्या

पाठा के जंगलों में गिद्धों की गणना पूरी नहीं हुई है लेकिन प्रारंभिक आकलन में संख्या दो से ढाई सौ है। वन विभाग के अफसरों के अनुसार गिद्धों के कई झुंड देखे गए हैं। जल्द ही अंतिम गणना की जाएगी। यहां दिखे लाल, काले और सफेद गर्दन वाले गिद्ध सबसे अच्छी प्रजाति के माने जाते हैं।

पसंद आया पाठा का एकांत और जंगलों का घनापन

देश में यूं तो कई जंगल हैं, लेकिन पाठा के जंगलों का एकांत और घनापन गिद्धों को ज्यादा पसंद आ रहा है। प्रमुख कारण घना वन, एकांत क्षेत्र और बड़े पेड़ हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में अधिकारी रहे और वर्तमान में यहां के प्रभागीय वनाधिकारी कैलाश प्रकाश बताते हैं कि बलरामपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी, ललितपुर और पीलीभीत के जंगलों में भी गिद्ध पाए जाते हैं, लेकिन वहां ज्यादा संख्या नहीं है। यहां बड़े पेड़ भी हैं, जिन पर गिद्ध आशियाना बनाते हैं। यहां उनके आहार के लिए छोटे जीव भी पर्याप्त हैं। यह जंगल गिद्ध के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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इन प्रजातियों के गिद्ध मिले

-लाल गर्दन वाले : इनको एशियाई राजा गिद्ध के नाम से भी जानते हैं।

-काली गर्दन वाला : यह नेपाल से लेकर पाकिस्तान तक पाया जाता है।

-सफेद गर्दन वाले : इनको भारतीय उपमहाद्वीप में देखा जाता है।

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