माया नगरी ने भरमाया, गांव में मन रमाया

शेषमणि गुप्ता मानिकपुर (चित्रकूट) देश के अति पिछड़े जिलों में शामिल बुंदेलखंड के चित्रक

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Jun 2020 10:47 PM (IST) Updated:Tue, 16 Jun 2020 06:02 AM (IST)
माया नगरी ने भरमाया, गांव में मन रमाया
माया नगरी ने भरमाया, गांव में मन रमाया

शेषमणि गुप्ता, मानिकपुर (चित्रकूट)

देश के अति पिछड़े जिलों में शामिल बुंदेलखंड के चित्रकूट में मिनी चंबल घाटी के तौर पर चर्चित मानिकपुर के पाठा इलाके से पलायन कर माया नगरी यानी मुंबई में पेंटिग का हुनर सीखने वाले डोडामाफी गांव निवासी अखिलेश कुमार अब वापस नहीं लौटना चाहते हैं। गांव के पास मुख्य सड़क या कस्बे में पेंटिंग की दुकान खोलकर मन रमाएंगे। अपनी मिट्टी ने वापस बुलाया तो अब यहीं पर रोजी-रोटी भी कमाएंगे। इसके लिए जिला प्रशासन व सरकार से मिलने वाली मदद की आस लेकर ब्लॉक और तहसील तक घूम भी आए हैं। वह कहते हैं कि पत्नी गुड्डी, बच्चों संजय व पूनम के साथ मायानगरी में रहकर जिदगी की गाड़ी आगे बढ़ाई। काफी कमाया भी पर कोरोना संक्रमण के बाद आई परेशानी से सारे भरम टूट गए हैं। बस चिता इस बात की है कि गांव में सरकार की मदद से काम मिल जाए ताकि वापस परदेश नहीं जाना पड़े।

तेंदू पत्ता ने दिया साथ

मानिकपुर तहसील की 62 ग्राम पंचायतों में करीब आठ हजार प्रवासी आए हैं। इनके लिए लॉकडाउन के दौरान ही तेंदू पत्ता मददगार बन गया। खिचरी ग्राम पंचायत के उमरी गांव निवासी राज कुमार कोल ने बताया कि पत्नी सोनिया के साथ तेंदू पत्ता तुड़ान व गड्डी बनाने का काम किया। कुछ रुपये मिलने से जिदगी की गाड़ी चल पड़ी है। ऐसे ही दूसरे कामगार भी खुद के लिए मंजिल की तलाश में हैं।

बेटी के हाथ पीले नहीं कर पाने की कसक

मानिकपुर तहसील के डोडामाफी गांव निवासी राजेश कुमार वर्मा पत्नी चुन्नी देवी, बेटे मनीष कुमार, अनीस, बेटियों मनीषा व अनीता के साथ होली पर मुंबई से गांव आए थे। होली बाद वापस जाकर जमा पूंजी व कुछ और कमाई कर बेटी के हाथ पीले करने का ख्वाब संजोए थे। इसी बीच लॉकडाउन उन पर पहाड़ बनकर टूटा। अधूरा सपना लिए गांव में ही कुछ करने की तैयारी कर चुके हैं। दूसरों को भी सलाह दे रहे हैं।

मनरेगा से छांव मिलने की आस

डोडामाफी गांव निवासी ओम प्रकाश विश्वकर्मा महाराष्ट्र में फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन के बाद 22 वर्षीय ओम प्रकाश 17 मई को गांव लौट आए हैं। अब ग्राम पंचायत में न मनरेगा के माध्यम से काम करने की तैयारी में हैं। इसके लिए प्रधान व सचिव से संपर्क करने पर आश्वासन भी मिला है। 70 वर्षीय मां गंसी और 16 वर्षीय भाई दीपक की जिम्मेदारी उन पर है।

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ग्राम पंचायत स्तर पर प्रवासियों की सूची बन चुकी है। हुनर के हिसाब से काम दिया जाएगा। मनरेगा में सभी के लिए दरवाजे खुले हैं। जॉब कार्ड बनवाकर काम दिया जा रहा है।

-संगम लाल गुप्ता, एसडीएम मानिकपुर चित्रकूट।

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