प्लास्टिक युग के आगे बौने, लकड़ी के खिलौने

जागरण संवाददाता चित्रकूट : देश-दुनिया में अपनी छाप छोड़ने वाले लकड़ी के खिलौने प्लास्टिक युग

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 06:24 PM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 06:24 PM (IST)
प्लास्टिक युग के आगे बौने, लकड़ी के खिलौने
प्लास्टिक युग के आगे बौने, लकड़ी के खिलौने

जागरण संवाददाता चित्रकूट : देश-दुनिया में अपनी छाप छोड़ने वाले लकड़ी के खिलौने प्लास्टिक युग में बौने नजर आ रहे हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी और लोगों की उपेक्षा से परेशान यह कारोबार दिन-ब-दिन दम तोड़ रहा है। बाजार पर प्लास्टिक के खिलौनों के बढ़ते प्रभाव से परेशान इस कारोबार से जुड़े उद्यमी व मजदूर अब विकल्प की तलाश कर रहे हैं। एक जिला-एक उत्पाद योजना पर भी इनका भला नहीं कर पा रही।

प्रभु श्रीराम की तपोभूमि के अलावा चित्रकूट लकड़ी के खिलौने के लिए प्रसिद्ध है। यहां के खिलौनों की कारीगरी और खूबसूती प्रदर्शनी के माध्यम से अमेरिका, मलेशिया और लंदन तक वाहवाही लूट चुकी है। वर्तमान में जिम्मेदारों की अनदेखी से कारोबार की कमर टूट रही है। प्लास्टिक के खिलौनों का बढ़ता प्रभाव इससे जुड़े लोगों की रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर रहा है। कच्चे माल की उपलब्धता व बाजार खत्म होने से कभी एक करोड़ रुपये सालाना होने वाला कारोबार महज 35 लाख तक सीमित हो गया है। दाम में है बड़ा अंतर

लकड़ी व प्लास्टिक के उत्पादों की कीमत में करीब 50 फीसद का अंतर है। उदाहरण के लिए लकड़ी के बेलन-चकला की कीमत 40 से 50 रुपये है जबकि प्लास्टिक में यह 20 से 25 रुपये में उपलब्ध हो जाता है। यही कारण है प्लास्टिक के खिलौने से 80 फीसद बाजार पर अपनी पकड़ बना ली है, जबकि लकड़ी के खिलौने मात्र 20 फीसद लोगों को ही पसंद आ रहे हैं। यह उत्पाद बनते हैं यहां

सजावटी सामान, चकला-बेलन, गाड़ी-बाजा, टेबल लैंप, फ्लॉवर पॉट्स समेत अन्य सामान का यहां उत्पादन होता है। सीतापुर चित्रकूट इसका गढ़ है। यूपी व एमपी के जंगलों में मिलने वाली कोरैया (दूधी) लकड़ी से बनने वाले इन खिलौनों के कारोबार से तकरीबन 1500 लोग जुड़े हैं। प्रदेश भर में इनकी बिक्री होती है। दाम पांच रुपये से अधिकतम 1000 रुपये तक हैं। शिल्प गुरु का खिताब भी मिला

लकड़ी के खिलौने बनाने वाले सीतापुर निवासी गोरेलाल राजपूत को 2007 में राष्ट्रपति के हाथों शिल्प गुरु का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। उनकी इस परंपरा को परिजन आगे बढ़ा रहे हैं। वह कहते हैं कि अगर सरकार ठीक तरह से ध्यान दे तो इस कारोबार को बचाया जा सकता है। जमीनी नहीं एक उत्पाद-एक जिला योजना

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने एक उत्पाद-एक जिला की बेहतर योजना शुरू की है लेकिन इसका फायदा जमीनी स्तर पर नहीं मिला है। योजना अभी सिर्फ बैठकों तक सीमित है।

-बलराम ¨सह, काष्ठ कला विशेषज्ञ। कारोबार से जुड़े लोगों की समस्याओं को समझकर राहत दी जाए। संरक्षण मिलने से फायदे होंगे। संकट से जूझ रहे लोग आगे बढ़ सकेंगे।

-अजय कुमार, लकड़ी के खिलौनों के निर्माता।

मुद्रा ऋण योजना के तहत कई कारोबारियों को ऋण वितरित किया गया है। एमएसएमई मंत्रालय भारत सरकार की यहां कलस्टर डेवलपमेंट की योजना है। इससे बड़ी राहत मिलेगी। इसका खाका खींचा जा चुका है। जल्द जमीनी स्तर पर काम शुरू होगा।

विशाख जी., जिलाधिकारी

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