प्रशासन के गले की हड्डी बना खुले में शौच मुक्त अभियान

गांवों को खुले में शौच मुक्त अभियान जिला प्रशासन के गले की हड्डी बन गया है। ग्राम प्रधानों व सचिवों पर कार्रवाई से नाराज ग्राम प्रधानों ने जहां मोर्चा खोल दिया है, वहीं दो अक्टूबर तक जनपद को ओडीएफ करने के लक्ष्य को पूर्ण करने में प्रशास

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 06:34 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 06:34 PM (IST)
प्रशासन के गले की हड्डी बना खुले में शौच मुक्त अभियान
प्रशासन के गले की हड्डी बना खुले में शौच मुक्त अभियान

जासं, चंदौली: गांवों को खुले में शौच मुक्त अभियान जिला प्रशासन के गले की हड्डी बन गया है। ग्राम प्रधानों व सचिवों पर कार्रवाई से नाराज ग्राम प्रधानों ने जहां मोर्चा खोल दिया है, वहीं दो अक्टूबर तक जनपद को ओडीएफ करने के लक्ष्य को पूर्ण करने में प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वैसे शौचालयों के निर्माण में अनियमितता पर हो रही कार्रवाई में ऐसा कोई गांव नहीं बचेगा जो इसकी जद में न आए। ऐसे में यह कहा जाय कि 734 ग्राम पंचायतों में जिला प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ेगी तो अतिसयोक्ति नहीं होगी।

गांवों को खुले में शौच मुक्त करने को भारत सरकार ने दो अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण की शुरूआत की। उद्देश्य रहा कि गांवों में शत प्रतिशत शौचालयों का निर्माण करा गांव को ओडीएफ किया जा सके। बेस लाइन सर्वे सूची के तहत तीन लाख शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया। शौचालयों के निर्माण को पिछले चार वर्षों में पैसा पानी की तरह बहाया गया। पहले लाभार्थियों के खाते में धन भेजने की कार्रवाई की गई। सफलता नहीं मिली तो इसकी जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को सौंपी गई। लेकिन करोड़ों रुपये धन खर्च होने के बाद भी निर्माण की प्रगति असंतोषजनक बनी हुई है। इसमें कहीं लाभार्थियों ने लापरवाही बरती तो कतिपय गांवों में सचिवों की गैर जिम्मेदाराना नीति के कारण शौचालय अधूरे रह गए। शासन की सख्ती के बाद जिला प्रशासन जागा तो अंतत: कार्रवाई तक पहुंच गया। दस ग्राम प्रधानों व सचिवों पर कार्रवाई के बाद डीएम ने शौचालयों की जांच का निर्देश दिया है। प्रशासन की मानें तो अनियमितता उजागर होने पर और बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जाएगी। ताकि ओडीएफ की सफलता को अमलीजामा पहनाया जा सके। वैसे ओडीएफ का लक्ष्य पूर्ण करने में अब गिने चुने ही दिन ही शेष रह गए हैं। देखना यह है कि प्रशासन लक्ष्य पूर्ण करने में कितना सफल हो पाता है।

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गांवों को खुले में शौच मुक्त अभियान के तहत गांवों में युद्ध स्तर पर शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। निर्धारित समय पर लक्ष्य पूर्ण करने की उम्मीद है।

डा.एके श्रीवास्तव, सीडीओ

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