डीआरएम की कड़ाई, 48 घंटे में हो कालोनी की सफाई
पीडीडीयू नगर (चंदौली) पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल के जिम्मेदार अधिकारियों को स्वच्छता पखवाड़ा में गंदगी छिपाना भारी पड़ गया।
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल के जिम्मेदार अधिकारियों को स्वच्छता पखवाड़ा में गंदगी छिपाना भारी पड़ गया। जब बात मंडल रेल प्रबंधक राजेश कुमार पांडेय तक पहुंची तो विभागीय अधिकारियों की जमकर क्लास लगी। उन्होंने तत्काल कालोनियों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एडीआरएम की टीम बना दी। शनिवार को एडीआरएम की टीम ने कालोनियों का निरीक्षण कर 48 घंटे के अंदर कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है। डीआरएम का कड़ा रूख देख महकमे में खलबली मची हुई है। सख्ती के बाद आराम फरमा रहे पर्यावरण एवं रखरखाव प्रबंधक विभाग भी हरकत में आ गया है। लापरवाही को लेकर वरीय मंडल यांत्रिक अभियंता की क्लास लगी है। अब अगर आगे स्वच्छता में ढिलाई हुई तो इसका सीधा खामियाजा विभाग को भुगतना पड़ेगा।
कालोनियों की साफ सफाई की जिम्मेदारी वरीय मंडल यांत्रिक अभियंता(पर्यावरण एवं रखरखाव प्रबंधन) के जिम्मे है। सफाई के लिए भारी भरकम कर्मचारी भी हैं और संसाधन भी। इसके बावजूद साफ सफाई को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। कालोनियों के बाहरी हिस्सों की सफाई तो कर दी जाती है लेकिन, भीतरी हिस्सों में गंदगी का अंबार लगा रहता है। गंदगी से उठ रही दुर्गंध ने रेल कर्मचारियों का जीना दुश्वार कर दिया है। वर्तमान में डेंगू, मलेरिया जैसी घातक बीमारियों पांव पसराने लगी है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं। कालोनियों में कभी कभार सफाई कर्मी झाड़ू लगाने पहुंच जाते हैं। इसके बाद कई कई महीने दर्शन तक नहीं देते हैं। मंडल रेल प्रबंधक की कड़ाई के बाद हलचल मची हुई है।
एक साल से डबल चार्ज में सीनियर डीएमई जंक्शन व कालोनियों की सफाई के लिए पर्यावरण एवं रखरखाव प्रबंधन विभाग बनाया गया है। इस विभाग की जिम्मेदारी है कि गीला, सूखा व किचन वेस्ट का निस्तारण करना है लेकिन, स्थानीय मंडल में पिछले लगभग 14 महीने से यह विभाग जैसे तैसे चल रहा है। वरीय मंडल यांत्रिक अभियंता (सवारी एवं माल डिब्बा) ही लगभग 14 महीनों से पर्यावरण एवं रखरखाव प्रबंधन का भी कार्य देख रहे हैं। इस कार्य के एवज में बकायदा सीनियर डीएमई को नियमानुसार सुविधाएं मिलती हैं। गाड़ियां, दवाइयां सहित अन्य चीजों की देखरेख इन्हें ही करनी है। इसके बावजूद व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है।