मजदूरों से कटवाया धान, दर्ज हो गया मुकदमा

सर्वोच्च न्यायालय ने जीवन से लिए घाटक बनी आबोहवा को शुद्ध रखने के लिए खेतों में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। आदेश के क्रियान्वयन में प्रशासनिक महकमे की लापरवाही उजागर हो रही। इसके चलते गंवई राजनीति हावी हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 07:59 PM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 12:18 AM (IST)
मजदूरों से कटवाया धान, दर्ज हो गया मुकदमा
मजदूरों से कटवाया धान, दर्ज हो गया मुकदमा

जासं, चंदौली : सर्वोच्च न्यायालय ने जीवन के लिए घातक बनी आबोहवा को शुद्ध रखने के लिए खेतों में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। आदेश के क्रियान्वयन में प्रशासनिक महकमे की लापरवाही उजागर हो रही। मजदूरों से धान कटवाने वाले किसानों के खिलाफ भी लेखपालों ने मुकदमा दर्ज करा दिया। सोमवार को डीएम दरबार पहुंचे किसानों ने लेखपालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। आरोप लगाया कि लेखपाल गांवों में जाने की बजाए तहसील में बैठकर पराली जलाने की रिपोर्ट ले रहे। गांव के कुछ लोगों की ओर से लेखपालों को गलत रिपोर्ट दी जा रही। सत्यापन किए बगैर मुकदमा दर्ज कराया जा रहा।

सदर तहसील के खुरूहुजा गांव के किसान गोपाल सिंह का कहना रहा कि उन्होंने मजदूरों से धान कटवाया, लेकिन गांव के लोगों के कहने पर लेखपाल ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही मुकदमा वापस लिया जाना चाहिए। धनउर के किसान धर्मेंद्र कुमार ने कहा पराली निस्तारण के लिए जिला प्रशासन के पास कोई ठोस योजना नहीं है। धान के कटोरे में कृषि विभाग के पास कोई रिपर अथवा संसाधन नहीं है। इसके चलते परेशानी हो रही है। जीतनारायण सिंह ने कहा पराली निस्तारण के नाम पर किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी कोई रियायत दिए बगैर सीधे कार्रवाई कर रहे हैं। जबकि पर्यावरण प्रदूषण के सबसे बड़े कारण माने जाने वाले फैक्ट्रियों व कारखानों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। योगेश्वर सिंह ने कहा जिला प्रशासन को पराली निस्तारण के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। निजी रिपर मालिकों से पराली निस्तारण कराने पर 1500 रुपये प्रति बीघा किराया देना पड़ रहा। इससे किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। किसानों की समस्या का व्यावहारिक हल नहीं ढूंढ़ा गया तो आंदोलन किया जाएगा।

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