व्यक्ति को कर्म करने के लिए बाध्य करती है प्रकृति

कोई भी व्यक्ति कर्म नहीं छोड़ सकता। प्रकृति व्यक्ति को कर्म करने के लिए बाध्य करती है। जो व्यक्ति कर्म से बचना चाहता है वह ऊपर से तो कर्म छोड़ देता है पर मन ही मन उसमें डूबा रहता है। अगर इस जीवन में खुश रहना चाहते हैं तो स्वार्थ को कभी अपने पास आने मत दो। जो इंसान अपने नजरिए को सही प्रकार से इस्तेमाल नहीं करता है वह अंधकार में धंसता जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Nov 2019 10:32 PM (IST) Updated:Fri, 15 Nov 2019 10:32 PM (IST)
व्यक्ति को कर्म करने के लिए बाध्य करती है प्रकृति
व्यक्ति को कर्म करने के लिए बाध्य करती है प्रकृति

जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : कोई भी व्यक्ति कर्म नहीं छोड़ सकता। प्रकृति व्यक्ति को कर्म करने के लिए बाध्य करती है। जो व्यक्ति कर्म से बचना चाहता है, वह ऊपर से तो कर्म छोड़ देता है पर मन ही मन उसमें डूबा रहता है। अगर इस जीवन में खुश रहना चाहते हैं तो स्वार्थ को कभी अपने पास आने मत दो। जो इंसान अपने नजरिए को सही प्रकार से इस्तेमाल नहीं करता है। वह अंधकार में धंसता जाता है। उक्त बातें सुभाष नगर कालोनी में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को गंगा रत्न डा. मोहन पांडेय ने कहीं।

कहा कि मनुष्य को हर काम करते हुए कुछ समय ईश्वर भजन में देना चाहिए। ईश्वर भजन किए बगैर मानव कल्याण संभव नहीं है। जो इस ओर ध्यान नहीं देगा, वह हमेशा परेशान रहेगा। भक्ति के आगे भगवान को भी झुकना पड़ता है। जहां अहंकार होता है, वहां प्रभु नहीं रहते। पीयूष मिश्रा, किरण मिश्रा, सुजीत पांडेय आदि उपस्थित थे।

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