नक्सल प्रभावित क्षेत्र में खाद्यान्न का संकट

जासं, चकिया (चंदौली) : नक्सल प्रभावित इलिया इलाके में खाद्य सुरक्षा अधिनियम का मखौल उड़ाया जा रहा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Sep 2017 07:58 PM (IST) Updated:Thu, 07 Sep 2017 07:58 PM (IST)
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में खाद्यान्न का संकट
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में खाद्यान्न का संकट

जासं, चकिया (चंदौली) : नक्सल प्रभावित इलिया इलाके में खाद्य सुरक्षा अधिनियम का मखौल उड़ाया जा रहा है। वितरण तिथि के दिन कोटेदारों द्वारा राशन व मिट्टी के तेल का वितरण नहीं किया जाता है। इससे कार्डधारकों को राशन और केरोसिन तेल लेने के लिए दुकानों के चक्कर काटने पड़ते हैं। कार्डधारकों का आरोप है कि मिट्टी के तेल की कालाबाजारी भी धड़ल्ले से जारी है।

गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले अंत्योदय कार्डधारकों को चार लीटर के स्थान पर एक से डेढ़ लीटर मिट्टी का तेल देकर गोलमाल किया जा रहा है। राशन वितरण तिथि के दिन ही कार्डधारकों में पर्यवेक्षक की मौजूदगी में अंत्योदय कार्डधारकों को चार लीटर व पात्र गृहस्थी धारकों को दो लीटर मिट्टी का तेल देने का निर्देश है। क्षेत्र में ऐसा कहीं नहीं हो रहा है। वितरण तिथि के एक, दो दिन बाद कोटेदार राशन बांटकर केरोसिन का वितरण अपनी मर्जी के हिसाब से करते हैं। यही नहीं विलंब से पहुंचने पर पता चलता है कि वितरण बंद हो गया है। कुछेक कार्डधारकों में तेल का वितरण कर कोटेदार खुले बाजार में बेंच देते हैं। जो बाजार में 25-30 रुपये लीटर बिकता है। वहीं, सस्ते गल्ले की कुछ दुकानों पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम का बोर्ड भी नहीं लग पाया है। हाटा, खखड़ा, बरियारपुर, कवलपुरवां, मलहर, घोड़सारी, जिगना, खिलची, बरावं, कलानी, भुड़कुड़ा, विशुनपुरवां, सीहर आदि गांवों में रोस्टर बीत जाने के बाद केरोसिन के वितरण मनमानी की जाती है। जबकि निर्देश यह है कि रोस्टर के दिन तक केरोसन तेल वितरित कर दिया जाय। कार्डधारक शांति, ममता, लालबरत यादव, सुखदेई, राधिका, बासमती, रामचंद्र, आरती, नौरंगी समेत तमाम का कहना रहा कि कोटेदार मनमाने तरीके से राशन का वितरण करते हैं। नियत तिथि पर राशन का वितरण नहीं से कार्डधारकों खासकर पात्र लाभार्थियों को परेशानी उठानी पड़ती है। राशन एक महीने से पहले ही खत्म हो जाता है। ऐसे में जमीदारों उधारी के तौर पर खाद्यान्न लेना पड़ता है। इसको लेकर कई बार अधिकारियों से फरियाद की जा चुकी है। इसके बाद भी समस्या का निस्तारण नहीं हो सका है। अंत्योदय व पात्र गृहस्थी की सूची में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी अभी भी बनी हुई है। बरावं गांव में दर्जनों परिवार ऐसे हैं, जिनका नाम सूची से गायब है। इसे लेकर यहां के रहवासियों ने एसडीएम आवास पर धरना-प्रदर्शन भी किया था। आरोप है कि गरीब-मजदूर की समस्याओं पर जिम्मेदार हुक्मरान ध्यान नहीं देते हैं। यही हाल नगर समेत नौगढ़, शहाबगंज का भी है।

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खाद्यान्न व मिट्टी के तेल का वितरण नियमानुसार करने के लिए कोटेदारों को निर्देश है। यदि इसमें अनियमितता की शिकायत मिली तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। सभी कोटेदारों को दुकानों योजना समेत स्टाक व निर्धारित मूल्य का बोर्ड लगाने को निर्देशित किया गया है।

जेएल सरोज उप जिलाधिकारी चकिया

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