कंपोजिट ग्रांट में कमीशन का खेल, नहीं खा रहा तालमेल

परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प को शासन गंभीर है। प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों को इसके लिए करोड़ों रुपये की कंपोजिट ग्रांट भेजी गई है। भवन के रंगरोगन, बच्चों के बैठने की व्यवस्था, स्वच्छता व विद्यालय के लिए जरूरी सामानों की खरीदारी इस मद के धनराशि से की जानी है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jan 2019 07:13 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jan 2019 10:58 PM (IST)
कंपोजिट ग्रांट में कमीशन का खेल, नहीं खा रहा तालमेल
कंपोजिट ग्रांट में कमीशन का खेल, नहीं खा रहा तालमेल

जासं, चकिया (चंदौली) : परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प को शासन गंभीर है। प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों को इसके लिए करोड़ों रुपये की कंपोजिट ग्रांट भेजी गई है। भवन के रंगरोगन, बच्चों के बैठने की व्यवस्था, स्वच्छता व विद्यालय के लिए जरूरी सामानों की खरीदारी इस मद के धनराशि से की जानी है। तहसील क्षेत्र के बहुतेरे विद्यालयों ने कार्य शुरू तो कर दिए, लेकिन कंपोजिट ग्रांट पर स्थानीय शिक्षाधिकारियों की गिद्ध ²ष्टि लग गई। कमीशन को लेकर शिक्षकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

शासन की मंशा परिषदीय विद्यालयों को कांवेंट की तर्ज पर बनाने की है। विद्यालय को 'ग्रीन एंड क्लीन' बनाया जाएगा। पंजीकृत छात्रों की संख्या के आधार पर इस मद से धन स्कूलों को भेजा गया है। शर्त यह कि पूरे शिक्षा सत्र में आवंटित धनराशि को खर्च करना है। नगर के प्राथमिक विद्यालय प्रथम, पूर्व माध्यमिक विद्यालय सहित अतायस्तगंज, विशुनपुरवां, ठेकहां, पड़रियां, सीहर आदि गांव के परिषदीय विद्यालयों में रंगरोगन का कार्य पूर्ण हो गया। नाम न छापने की शर्त पर कई शिक्षकों ने बताया कि ग्रांट आते ही ब्लाक स्तरीय अफसरों ने सामानों की खरीदारी में कमीशन का अड़ंगा लगा दिया है। कुछ अधिकारी तो एजेंट या अपने पसंद की दुकानों से सामान खरीदने का दबाव भी बना रहे हैं। कंपोजिट ग्रांट के धन को खर्च करने की विधिवत जानकारी प्रधानाध्यापकों को दी गई है। शिक्षकों का आरोप निराधार है। मेरे नाम पर यदि कोई कमीशन मांग रहा तो शिकायत मिलने पर उसे बख्शा नहीं जाएगा।

चंद्रशेखर आजाद, बीईओ

chat bot
आपका साथी