.. और पंचमुखी वृक्ष बन गया आस्था का केंद्र

नगई गांव स्थित विशालकाय पंचमुखी वृक्ष आस्था व विश्वास का केंद्र ¨बदु बना हुआ है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों की तादात में आस्थावान पहुंचते हैं और मन्नत मांगते है। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की जाती है। औषधि गुण से परिपूर्ण वृक्ष के जड़ से लेकर तना महत्वपूर्ण है। लोगों का मानना है कि वृक्ष के पत्ते से लेकर जड़ के नियमित सेवन से गंभीर बीमारी छू मंतर हो जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 07:57 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 07:57 PM (IST)
.. और पंचमुखी वृक्ष बन गया आस्था का केंद्र
.. और पंचमुखी वृक्ष बन गया आस्था का केंद्र

जागरण संवाददाता, बबुरी (चंदौली) : नगई गांव स्थित विशालकाय पंचमुखी वृक्ष आस्था का केंद्र है। प्रतिदिन सैकड़ों की तादात में आस्थावान पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की जाती है। औषधि गुण से परिपूर्ण वृक्ष की जड़ से लेकर तना तक महत्वपूर्ण है। लोगों का मानना है कि वृक्ष के पत्ते से लेकर जड़ के नियमित सेवन से गंभीर बीमारी छू मंतर हो जाती है।

आम के आम गुठलियों के दाम की कहावत को चरितार्थ करता हुआ यह वृक्ष लोगों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है। यहां हर रोज सैकड़ों की तादात में लोग पहुंचते हैं। पेड़ के पत्ते, छाल व टहनियों से दवा का भी काम होता है। बबुरी नवापुर मार्ग पर नगली गांव के पास दुर्गा माता का प्राचीन मंदिर है। इसी मंदिर के पास पांच पेड़ की शाखाओं से युक्त पंचमुखी पेड़। पीपल, जामुन, बरगद, आम व पकड़ी का पेड़ एक ही जड़ की शाखाओं से निकला हुआ है। विशालकाय आम और जामुन के फल का लोग आनंद लेते हैं। वहीं सर्दी, जुकाम, बुखार व पीलिया में जामुन, पीपल, पकड़ी व बरगद के छाल का काढ़ा बनाकर पीते हैं। अनेक जटिल रोगों में लाभकारी सिद्ध हो रहा है। जामुन की गुठली अभी दवा बनाने के काम आती है। लोगों के लिए छांव का सहारा बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि काशी नरेश डॉक्टर विभूति नारायण ¨सह की प्रेरणा से करीब 75 वर्ष पूर्व उक्त पेड़ रोपित किए गये थे।

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