अब तक नहीं शुरू हो सके 19 वेंटिलेटर, डाक्टरों की कमी बनी रोड़ा

जागरण संवाददाता चंदौली जिला अस्पताल चंदौली और संयुक्त अस्पताल चकिया में अभी तक 19 वेंटिलेटर

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 09:12 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 09:12 PM (IST)
अब तक नहीं शुरू हो सके 19 वेंटिलेटर, डाक्टरों की कमी बनी रोड़ा
अब तक नहीं शुरू हो सके 19 वेंटिलेटर, डाक्टरों की कमी बनी रोड़ा

जागरण संवाददाता, चंदौली : जिला अस्पताल चंदौली और संयुक्त अस्पताल चकिया में अभी तक 19 वेंटिलेटर क्रियाशील नहीं हो सके हैं। चिकित्सकों की कमी इसमें सबसे बड़ी बाधा बनी है। जनपद में एनेस्थिसिया के मात्र सात चिकित्सक हैं। एक अस्पताल में वेंटिलेटर को चलाने के लिए आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्टों में अलग-अलग चिकित्सकों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में अभी तक जिला अस्पताल के तीन वेंटिलेटर ही शुरू हो सके हैं। हालांकि कोरोना काल में गंभीर मरीजों को इससे काफी राहत मिली है। पीएम केयर फंड और मेडिकल कारपोरेशन की मदद से जिले को एक साल पूर्व 22 वेंटिलेटर मिले थे। स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें पहले चालू कराने की पहल नहीं की। दैनिक जागरण ने इसको लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की तो अधिकारी हरकत में आए और आनन-फानन में जिला अस्पताल में तीन वेंटिलेटर फिट कराकर शुरू करा दिए गए। वहीं चिकित्सकों को भी प्रशिक्षण दिया गया। विभाग अब चकिया जिला संयुक्त चिकित्सालय, एमसीएच (मातृ व शिशु) विग और जिला अस्पताल में वेंटिलेटर लगवाएगा। अस्पतालों में मशीनें और उपकरण भेजकर फिटिग कराया जा रहा है। हालांकि चिकित्सकों की कमी इसके लिए बड़ी बाधा बन गई है। वेंटिलेटर चलाने के लिए एनेस्थिसिया के डाक्टर की जरूरत पड़ती है। जिले में फिलहाल सात चिकित्सक हैं। एक चिकित्सक अधिकतम आठ घंटे तक सेवा दे सकता है। इसके बाद दूसरे को लगाना होगा। ऐसे में एक अस्पताल में वेंटिलेटर को चलाने के लिए कम से कम तीन चिकित्सकों की जरूरत पड़ेगी। स्वास्थ्य विभाग ने किसी तरह जिला अस्पताल में तीन वेंटिलेटर तो चालू करा दिए, लेकिन अन्य अस्पतालों में चिकित्सकों की उपलब्धता के बगैर इसे शुरू कराना संभव नहीं।

--------------------------आपरेशन थिएटर में भी होती है जरूरत

जिले में सात एनेस्थिसिया चिकित्सक हैं लेकिन सभी को वेंटिलेटर चलाने के लिए ही नहीं लगाया जा सकता। उनकी आपरेशन थिएटर में भी जरूरत होती है। उनके बगैर मरीजों को बेहोश करना दूसरे चिकित्सकों के लिए संभव नहीं है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग एनेस्थिसिया के कुछ चिकित्सकों को फ्री रखना होगा। मेडिकल स्टाफ की कमी से नहीं शुरू हो सका आइसीयू

जिले में कुशल चिकित्सकों व मेडिकल स्टाफ का टोटा हमेशा रहा है। जिला अस्पताल में बना छह बेड का आइसीयू मेडिकल स्टाफ की कमी के चलते चार साल बाद भी शुरू नहीं हो सका। शासन से भेजी गईं मशीनें और उपकरण जंग खा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर शासन को कई बार पत्र भेज चुका है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वर्जन

तीन वेंटिलेटर जिला अस्पताल में लगाए गए हैं। बाकी को अन्य अस्पतालों में लगाने की प्रक्रिया चल रही है। बेहोशी के डाक्टरों की कमी कारण अन्य वेंटिलेटर चलाने में दिक्कत होगी, फिलहाल बेड पर उन्हें लगाया जा रहा है।

डाक्टर वीपी द्विवेदी, सीएमओ

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