परिवार के साथ पदयात्रा कर रहे 'मजबूरी' के यात्री

कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन होने के कारण दिल्ली और एनसीआर के तमाम जिलों में कामकाज पूरी तरह से बंद कर दिया है। ऐसे में बड़ी संख्या में फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिक अपने परिवार के साथ अपने मूल घर पर पहुंचने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Mar 2020 10:31 PM (IST) Updated:Fri, 27 Mar 2020 06:00 AM (IST)
परिवार के साथ पदयात्रा कर रहे 'मजबूरी' के यात्री
परिवार के साथ पदयात्रा कर रहे 'मजबूरी' के यात्री

बुलंदशहर, जेएनएन। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन होने के कारण दिल्ली और एनसीआर के तमाम जिलों में कामकाज पूरी तरह से बंद कर दिया है। ऐसे में बड़ी संख्या में फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिक अपने परिवार के साथ अपने मूल घर पर पहुंचने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं। बुधवार के बाद गुरुवार को भी बड़ी संख्या में लोग रातभर चलकर बुलंदशहर पहुंचे। यहां जिला प्रशासन ने उन्हें भोजन का वितरण कर बसों में सवार कराकर रवाना किया गया।

नेशनल हाईवे-91 पर पिछले तीन दिनों से नजारा एकदम बदला हुआ है। बिना वाहनों के भी हाईवे पर इंसानी आदम रात-दिन बरकरार है। अपने मां-बाप के साथ कदमताल करते छोटे बच्चे छोटे-छोटे डग भरकर अपनी मंजिल पर जल्दी से जल्दी पहुंचना चाहते हैं। लेकिन मंजिल अभी कोसों दूर है। गुरुवार की सुबह भी एक हजार से अधिक लोगों ने बुलंदशहर की सीमा में प्रवेश किया। सिर पर जरूरत के सामान से भरा बैग रखे हुए तमाम परिवार अपने बच्चों के साथ यहां पहुंचे। भूख-प्यास से बेहाल इन परिवारों की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि छोटे बच्चों को दूध तक पिछली रात से नहीं मिल सका है। जिला प्रशासन को जानकारी हुई तो भूड़ चौराहे और सिकंदराबाद में इन पैदल यात्रियों को रोक कर आराम कराया गया और भोजन के पैकेट का वितरण किया गया। लोगों ने बताया कि लॉकडाउन होने के कारण दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम आदि पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। ऐसे में वहां स्थिति फैक्ट्रियों पर भी तालाबंदी हो गई और एक ही झटके में हजारों परिवार सड़क पर आ गए। अब वापस अपने मूल स्थान पर लौटने के अलावा कोई चारा उनके पास नहीं है। जान बचेगी तो कुछ भी कर लेंगे

बदायूं निवासी राकेश सैनी ने बताया कि वह अपने पत्नी सीमा और छोटे बच्चे समीर के साथ दिल्ली की एक फैक्ट्री में कपड़े सिलाई का काम करता है। फैक्ट्री बंद हो गई और मालिक ने गिनती के रुपये देकर उन्हें घर जाने के लिए कह दिया। अब पिछले दो दिनों से चलकर बुलंदशहर पहुंचे हैं। उधर, भरी आंखों से सीमा ने बताया कि पैर में छाले पड़ गए हैं और बच्चा भी भूख से परेशान है। रास्ते में दुकानें बंद होने के कारण अधिक परेशानी है। दूर है मंजिल

गुरुवार को बुलंदशहर पहुंचने वालों में बदायूं, अलीगढ़, मुरादाबाद, नरौरा आदि स्थानों के मूल निवासी है। कुछ लोगों को जिला प्रशासन ने बस मंगाकर रवाना भी किया। लेकिन जत्थों में आने के कारण कोई समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी है। रातभर चलने के कारण थक हुए लोगों ने बताया कि अभी दो दिन का और ऐसे ही सफर तय करना होगा। इन्होंने कहा ..

बाहर से पैदल आ रहे यात्रियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की गई है। साथ ही अगर कोई बीमार है तो उसकी जांच आदि भी कराई जा रही है। रोडवेज की बसों में बिठाकर लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है।

- रविद्र कुमार, जिलाधिकारी

chat bot
आपका साथी