पापा.. आज ही हमारी जिदगी के हीरो हो

पिता एक ऐसा शब्द है जिसमें जिम्मेदारी प्रेम त्याग और अपनेपन के तमाम भाव समाए हुए हैं। हर पिता अपने बच्चों के लिए किसी हीरो से कम नहीं होगा। चेहरे पर जरूर सख्ती के भाव होते हैं लेकिन मन हमेशा अपनों के लिए बेचैन रहता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Jun 2020 11:11 PM (IST) Updated:Sun, 21 Jun 2020 06:01 AM (IST)
पापा.. आज ही हमारी जिदगी के हीरो हो
पापा.. आज ही हमारी जिदगी के हीरो हो

बुलंदशहर, जेएनएन। पिता एक ऐसा शब्द है, जिसमें जिम्मेदारी, प्रेम, त्याग और अपनेपन के तमाम भाव समाए हुए हैं। हर पिता अपने बच्चों के लिए किसी हीरो से कम नहीं होगा। चेहरे पर जरूर सख्ती के भाव होते हैं, लेकिन मन हमेशा अपनों के लिए बेचैन रहता है। कभी प्रेमपूर्ण डांट के साथ सही रास्ता दिखाने वाले शिक्षक की भूमिका में पिता होता है, तो कभी हमारी सभी जिद को पूरा करने वाला और हमारा रखवाला पिता होता है। अब लॉकडाउन में बच्चों को काफी समय अपने पिता के साथ बिताने का मौका मिला और उन्हें समझने का भी। फादर्स डे के अवसर पर दैनिक जागरण के तमाम पाठकों ने अपने पिता के लिए अपने दिल में छिपी भावना को शब्दों में साझा किया है। उनमें कुछ भाव आपके समक्ष प्रस्तुत हैं।

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वैसे तो हमारा हर दिन ही आपका है, लेकिन फिर भी आज के दिन मैं आपको फादर्स डे की अनंत शुभकामनाएं देना चाहती हूं। हम सब देखते है कि आप हमारे लिए अपना सुख-चैन भी छोड़ देते हो। अगर धरती पर भगवान है तो वो आपके ही के रूप में है। आप मेरे मार्गदर्शक भी हो और मंजिल तक पहुंचाने वाला रास्ता भी आप ही हो। आपने हमेशा हमारे सपनों को समझा है और हमारी गलती पर हमे डांटकर गले भी लगाया है।

- शिवानी यादव, गांव नगला काला

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व्यक्ति का चरित्र निर्माण ही नींव की ईंट होती है। छोटी-छोटी आदतें ही चरित्र सृजन करती हैं। मेरे पिता ने मेरे चरित्र और व्यक्तित्व निर्माण में अपना सर्वस्व झोंक कर रख दिया था। बचपन में यद्यपि उन्हें भूख ने बड़े प्यार से पाला था, लेकिन हमारे लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। मैं अपने व्यक्तित्व में जो चार गुण ईमानदारी, मितव्ययिता, अपने आपको दूसरों के समक्ष अच्छे से प्रस्तुत करना और पुस्तक प्रेमी महसूस करता हूं, उनका संपूर्ण श्रेय मैं अपने पिता को ही देता हूं। मेरे पापा ही मेरे हीरो हैं।

- डा. मनोज कुमार शर्मा, स्याना ----

सफलता में अगर प्रतिस्पर्धा हो, तो मात्र एक पिता ही हैं जो हमेशा चाहते हैं कि मेरा बेटा मुझसे भी आगे जाएं। जीवन के अनेक छुए, अनछुए पहलु मुझे भावुक कर देते हैं। बाह्य रूप से कठोर अनुशासन दिखाने वाले पिता का हृदय बड़ा विशाल और करूणा भरा होता है। वो पिता ही थे, जो तंगहाली के दिनों में भी मेरी पत्र पत्रिकाओं को खरीदकर पढ़ने की इच्छा पूरी करते थे। हमारे धर्मग्रंथों में भी कहा गया है कि 'सर्व देवमय: पिता' पिता ही पृथ्वी पर साक्षात देवता समान है।

- विवेक कुमार सैनी, देवीपुरा प्रथम शास्त्री पार्क

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मैं बचपन से ही अपने पिता के बेहद करीब रही हॅू। मेरे पिता शिक्षक होने के नाते हमेशा मुझे और मेरे भाई को सही रास्ता चुनने और आगे बढ़ने की शिक्षा देते रहे हैं। मेरे लिए मेरे सिर्फ पापा ही नहीं है, वह इस दुनिया में मेरे सबसे प्यारे और सच्चे दोस्त भी है। बच्चे अपने पिता को देखकर ही उनके जैसा बनने का प्रयास करता है। हर बच्चे में उसके पिता की ही छवि होती है। लॉकडाउन के दौरान पिता के साथ काफी समय गुजारने का मौका मिला। सच में तब मैने अपने पिता को ओर बेहतर समझा। मेरे लिए मेरे पापा ही मेरे हीरो हैं और हमेशा रहेंगे ।

- पलक भारद्वाज, बुलंदशहर

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