सड़कों का खराब डिजाइन भी ले रहा है जान

छोटे शहरों के अंदर बढ़ते सड़क हादसों पर सरकारी सिस्टम भले ही ध्यान न दे रहा हो, लेकिन आइआइटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने इसको गंभीरता से लेते हुए इस पर विश्लेषण और शोध कार्य शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Feb 2019 10:57 PM (IST) Updated:Sat, 09 Feb 2019 10:57 PM (IST)
सड़कों का खराब डिजाइन भी ले रहा है जान
सड़कों का खराब डिजाइन भी ले रहा है जान

बुलंदशहर : छोटे शहरों के अंदर बढ़ते सड़क हादसों पर सरकारी सिस्टम भले ही ध्यान न दे रहा हो, लेकिन आइआइटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने इसको गंभीरता से लेते हुए इस पर विश्लेषण और शोध कार्य शुरू कर दिया है। आइआइटी की टीम द्वारा सड़क और हादसों की बढ़ी संख्या को लेकर किए गए शोध में कई नई और चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। शोध में सामने आया कि सड़कों का खराब डिजाइन और निर्माण के दौरान बरती गई लापरवाही भी हादसों का बड़ा कारण है। अब आइआइटी की टीम अपना शोध पूरा कर सुझावों के साथ प्रदेश सरकार को सौंपेगी।

शोध के लिए आइआइटी वैज्ञानिकों की टीम छह माह तक हादसों पर विश्लेषण करेगी। विश्लेषण शुरू करने से पहले वैज्ञानिको ने पुलिस अधिकारियों से वर्ष 2012 से 2017 के बीच पांच साल में सड़क हादसों में हुई मौतों का डाटा लिया। इसके बाद बुलंदशहर शहरी क्षेत्र में हुई दुर्घटनाओं का सितंबर 2018 से विश्लेषण और शोध शुरू किया। इसमें पता चला कि, सभी मौतों में से 47 फीसद मौत पैदल चलने वालों की हुई हैं। जबकि भारत सरकार की जनगणना के मुताबिक 48 फीसद लोग बुलंदशहर में काम पर पैदल जाते हैं। विश्लेषण में पता चला कि शहर फुटपाथ नहीं हैं। क्रा¨सग और लाइ¨टग की व्यवस्था बदहाल है।

आइआइटी दिल्ली के परियोजना वैज्ञानिक समृद्ध ¨सह चौहान के मुताबिक भारत की सड़कों पर प्रतिवर्ष 1.5 लाख से ज्यादा मौतें होती हैं। जोकि लगातार बढ़ती जा रही हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन और सरकार इस पर गंभीर दिखाई नहीं देती हैं। सड़क सुरक्षा पर आइआइटी वैज्ञानिक काम करना चाहते हैं। दुर्घटना में मौत का शिकार होने वाले लोगों को बचाने के लिए खास प्रोजेक्ट बनाने से पहले वैज्ञानिकों की टीम दस लाख से कम आबादी वाले शहरों पर पहले विश्लेषण कर रही है। विश्लेषण टीम में परियोजना वैज्ञानिक के साथ प्रोफेसर गीतम तिवारी और प्रोफेसर दिनेश मोहन भी साथ हैं।

शहर में इन स्थानों पर होते हैं ज्यादा हादसे

आइआइटी वैज्ञानिकों के विश्लेषण में पता चला है कि शहर में सबसे ज्यादा हादसे खुर्जा रोड गुल गार्डन के पास, शिकारपुर बाइपास मामन रोड के पास और और खुर्जा रोड अमेयस हास्पिटल के पास हुए हैं।

ऐसे कम हो सकती हैं दुर्घटनाएं

वैज्ञानिकों ने अब तक के शोध में पाया है कि कई तरीके अपनाकर सड़क दुर्घटना में हो रही मौतों को कम किया जा सकता है। इसमें रोड का डिजाइन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। रोड का डिजाइन सही होना चाहिए। सड़कों पर चौड़ाई के हिसाब से वाहनों की गति सीमा तय की जाए। वाहन चलाते समय हेलमेट और सीट बेल्ट का प्रयोग अनिवार्य किया जाए। शहर में फुटपाथ जरूर बनाई जाए। रोड क्रा¨सग की भी अच्छी व्यवस्ता लैंडमार्क के साथ होनी चाहिए।

जनता से भी मांगे सुझाव

सड़क दुर्घटना पर काम कर रही आइआइटी वैज्ञानिकों की टीम ने अपने प्रोजेक्ट के लिए जनता से भी सुझाव मांगे हैं। जनता सुझाव दे भी रही है। जब रोड दुर्घटना रोकने के लिए प्रोजेक्ट बनेगा तो जनता के अच्छे सुझाव भी इसमें शामिल किए जाएंगे।

सरकार को देंगे प्रोजेक्ट

सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को कम करने के उपाय और प्रोजेक्ट बनाकर प्रदेश सरकार को सौपेंगे। छोटे शहरों में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, जोकि बेहद गंभीर हैं। शहर की सड़कें सुरक्षित नहीं रह गई हैं। विश्लेषण और शोध कार्य मार्च तक पूरा हो जाएगा।

- समृद्ध ¨सह चौहान, परियोजना वैज्ञानिक, आइआइटी, दिल्ली।

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