सिर में लगी चोट बन सकती है मिर्गी का कारण

मिर्गी की बीमारी कई तरह की होती है और इसके होने के कारण भी अलग-अलग ही होते हैं। चिकित्सकों ने मिर्गी को लक्षणात्मक क्रिप्टोजेनिक और इडियोपैथिक में वर्गीकृत किया है। तीनों प्रकार की मिर्गी के लक्षण और कारण भी अलग-अलग होते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Nov 2020 08:20 AM (IST) Updated:Tue, 17 Nov 2020 08:20 AM (IST)
सिर में लगी चोट बन सकती है मिर्गी का कारण
सिर में लगी चोट बन सकती है मिर्गी का कारण

जेएनएन, बुलंदशहर। मिर्गी की बीमारी कई तरह की होती है और इसके होने के कारण भी अलग-अलग ही होते हैं। चिकित्सकों ने मिर्गी को लक्षणात्मक, क्रिप्टोजेनिक और इडियोपैथिक में वर्गीकृत किया है। तीनों प्रकार की मिर्गी के लक्षण और कारण भी अलग-अलग होते हैं। किसी भी प्रकार के मिर्गी के दौरे में लापरवाही ना करें।

चिकित्सकों के मुताबिक मिर्गी के रोगियों में 90 फीसद दौरे दो मिनट के होते हैं। यदि रोगी तो पांच मिनट से अधिक का दौरा पड़ता है तो नाक के जरिए दवा देनी चाहिए। मुंह के जरिए कुछ भी नहीं देना चाहिए। दौरा पड़ने का समय पांच मिनट से ज्यादा होने पर मरीज को तुरंत अस्पताल लेकर जाएं। दुनियाभर में सबसे अधिक मिर्गी के रोगी भारत में हैं। वैसे तो मिर्गी होने के बहुत से कारण होते हैं लेकिन मिर्गी रोगी बनने का सबसे बड़ा कारण मस्तिष्क में चोट लगना ही होता है। मस्तिष्क में चोट लगने से होने वाली मिर्गी को लक्षणात्मक मिर्गी रोगी कहा जाता है। मस्तिष्क में चोट ना लगने के बाद भी होने वाली मिर्गी और कुछ सीखने में कठिनाई होने पर क्रिप्टोजेनिक मिर्गी रोगी माना जाता है। जब मिर्गी होने का साफ तौर पर कोई कारण ना मिल रहा हो तो चिकित्सक इसको इडियोपैथिक मिर्गी रोगी मानते हैं। अलग-अलग प्रकार

दौरे अलग-अलग प्रकार के होते हैं। ये इस बात पर निर्भर करता है कि मस्तिष्क का कौन सा भाग प्रभावित प्रभावित है। मिर्गी वाले लोग किसी भी प्रकार के दौरे का अनुभव कर सकते हैं। ज्यादातर लोगों को मिर्गी सिड्रोम के रूप में पहचाने जाने वाले लक्षणों के अनुसार पैटर्न होते हैं। कुछ मरीजों को दौरे जब पड़ते हैं जब वह सो रहे होते हैं और कुछ को जागते समय दौरे पड़ते हैं। मस्तिष्क का छोटा भाग जब प्रभावित होता है तो आंशिक दौरे पड़ते हैं। इन्होंने कहा.

मिर्गी आने पर मरीज को जमीन पर या समतल स्थान पर करवट से लिटा दें या उसकी गर्दन एक ओर मोड़ दें, ताकि मुंह में जमा लार और झाग बाहर निकल जाएं। मरीज के पास से फर्नीचर, तेज, नुकीली, चुभने वाली या धारदार वस्तुएं हटा दें।

-डा. भवतोष शंखधर, सीएमओ

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