अस्सी वर्ष से हो रही है रामलीला
पितृपक्ष में होता है शुभारंभ जहांगीराबाद : नगर में लगभग अस्सी वर्षो से प्रत्येक वर्ष पितृपक्ष में
पितृपक्ष में होता है शुभारंभ
जहांगीराबाद : नगर में लगभग अस्सी वर्षो से प्रत्येक वर्ष पितृपक्ष में रामलीला का मंचन होता आ रहा है। इसमें मुरादाबाद, बरेली, मथुरा, संभल, कानपुर आदि नगरों से रामलीला कलाकारों को बुलाया जाता है। कोई 40 वर्ष पहले तक नगर के ही लोग रामलीला का मंचन किया करते थे।
मंच का विवरण-
मंच की लंबाई -50 फुट,
चौड़ाई -40 फुट,
ऊंचाई - 5 फुट,
रामलीला के कलाकार- 35
रामलीला में आकर्षण
यहां की रामलीला में विशेष रूप से राम बारात, दुर्गा अष्टमी को महाकाली का विराट जलूस, एकादशी की रात्रि नगर में काली जलूस के साथ-साथ सुन्दर-सुन्दर झांकियां यहां की मुख्य शोभा होती हैं।
मंच की सजावट
यहां पर नवमी और दशहरा पर लाइट, गुब्बारे, फूल आदि से सजाकर विशाल मेला लगता है। इसे देखने के लिए दूर-दराज ग्रामीण व नगरों से लोग आते हैं।
तीन दिन लगता है विशाल मेला
जहांगीराबाद में होने वाली रामलीला में प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रि के मौके पर तीन दिनों का विशाल मेला लगता है। जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। ये मेला अष्टमी, नवमी और दशहरा के दिन लगता है। जिसमें पुतला दहन के साथ बुराई पर सच्चाई की जीत का मंचन किया जाता है।
मुख्य मंच से अलग बनती है लंका
यहां पर एक छोटी सी लंका अर्थात् रावण की नगरी भी बनाई जाती है जो रामलीला प्रांगण से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित किल्लर मैदान में होती है। यहां पर मेघनाथ वध, रावण पुतला दहन आदि लीलाओं का मंचन किया जाता है। इसी के तहत यहां तीन दिन का विशाल मेला लगता है।