फासले अब दिल में रह ना जाएं कहीं..

नजीबाबाद आकाशवाणी केंद्र के अधिकारियों के सम्मान में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें कवियों एवं शायरों ने अपनी रचनाओं से भाव-विभोर किया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 20 Nov 2020 05:04 PM (IST) Updated:Fri, 20 Nov 2020 05:04 PM (IST)
फासले अब दिल में रह ना जाएं कहीं..
फासले अब दिल में रह ना जाएं कहीं..

जेएनएन, बिजनौर। नजीबाबाद आकाशवाणी केंद्र के अधिकारियों के सम्मान में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों एवं शायरों ने अपनी रचनाओं से भाव-विभोर किया।

सिद्धबली विहार में विपिन त्यागी के आवास पर आयोजित काव्य गोष्ठी मुख्य अतिथि आकाशवाणी केंद्र के सहायक केंद्र निदेशक अमर सिंह ने कहा कि कवि गोष्ठियों से साहित्य को बल मिलता है। कवि एवं शायर समाज के लिए एक दर्पण की तरह होते हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में भी साहित्यकारों का बड़ा योगदान रहा था। आकाशवाणी केंद्र के कार्यक्रम प्रमुख शोभित शर्मा एवं संगीत कलाकार सनव्वर अली खां की उपस्थिति में आयोजित काव्य गोष्ठी में राजेंद्र त्यागी ने फासले अब दिल में रह ना जाएं कहीं, मैं जनाजा उठाऊं तू अर्थी उठा रचना प्रस्तुत कर झकझोरा।

डा. आफताब नोमानी ने फुटपाथों पर सोने वाले मजबूरों पर तंज न कर, देख अमीरे शहर किसी दिन तू भी बेघर हो सकता है, अमर सिंह ने गांव मोहल्ले नगर की सीमा, मिर्ची तेल नमक की सीमा, इसकी सीमा उसकी सीमा, जिसको देखो उसकी सीमा, कुमार मोनू रूबा ने खत मेरे फाड़ के जला देना, हो सके तो मुझे भुला देना, महेंद्र अश्क ने यह वाकिया है का जरा भी नहीं मालूम, हम लुट भी गए और छुआ भी नहीं मालूम, सनव्वर अली ने देश के ओ नौजवानों राष्ट्रहित में काम करना, नफरतों की आग में तुम प्रेम की जलधार बनना, डा.इलियास ने कौन अपना है पराया है मुझे क्या मालूम, हर बुरा वक्त भी रिश्तों का पता देता है रचना प्रस्तुत कर भाव-विभोर किया।

राजेंद्र त्यागी की अध्यक्षता एवं डा.आफताब नोमानी के संचालन में हुई काव्य गोष्ठी में शोभित शर्मा, मौसूफ वासिफ, जितेंद्र कक्कड़, सरफराज साबरी, ताहिर महमूद ने भी रचना प्रस्तुत की। एमडी खान, अब्दुल अजीज, विपिन त्यागी, अबरार सलमानी, मोहम्मद शारिक आदि उपस्थित रहे।

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