लॉकडाउन ने पर्देदारी का कर दिया चीरहरण

जिस घर में कुछ जमा पूंजी हो या फिर भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए कुछ आभूषण जुटाए हों उस घर के लोग कई पर्दों में रहना पसंद करते हैं। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने और आभूषणों को बेचने के लिए बाजार में पहुंचने में ऐसे घरों के लोगों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 May 2020 11:11 PM (IST) Updated:Sun, 31 May 2020 06:02 AM (IST)
लॉकडाउन ने पर्देदारी का कर दिया चीरहरण
लॉकडाउन ने पर्देदारी का कर दिया चीरहरण

बिजनौर, जेएनएन। जिस घर में कुछ जमा पूंजी हो या फिर भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए कुछ आभूषण जुटाए हों, उस घर के लोग कई पर्दों में रहना पसंद करते हैं। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने और आभूषणों को बेचने के लिए बाजार में पहुंचने में ऐसे घरों के लोगों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है।

लॉकडाउन ने ऐसे परिवारों की पर्दादारी का चीरहरण कर डाला है और जीवन को वापस पटरी पर लाने के लिए ऐसे परिवारों के लोग या तो ब्याज पर धनराशि लेने पर या फिर घर पर रखे स्वर्ण आभूषण बेचने पर मजबूर हैं। दुनिया के किसी भी कोने में स्वर्ण आभूषणों का इतना महत्व नहीं दिया जाता है, जितना भारत में दिया जाता है। सोने से लगाव रखने वालों खासकर महिलाओं की जान स्वर्ण आभूषण में बसती है। मध्यमवर्गीय परिवार सोने-चांदी के आभूषणों में अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित देखते हैं। लॉकडाउन ने मध्यमवर्गीय परिवारों की आजीविका को ज्यादा प्रभावित किया है। मध्यमवर्गीय एक परिवार के मुखिया ने बताया कि उनके परिवार की सीमित आमदनी और सीमित खर्च है। यह आमदनी निरंतर बनी रहती है, तो आशान्वित जीवन चलता रहता है। आमदनी रुकते ही थोड़ी-थोड़ी कर जमा की गई पूंजी को खर्च करना पड़ता है। पिछले दो महीनों में एक रुपये की भी आमदनी नहीं होने और रोजमर्रा के खर्च जस के तस होने से आर्थिक संकट गहरा गया है।

लॉकडाउन के दौरान स्वर्ण बाजार की स्थिति

नजीबाबाद तहसील में 400 से अधिक छोटे-बड़े सर्राफा कारोबारी हैं। यह जनपद का काफी बड़ा सर्राफा बाजार है। हालांकि लॉकडाउन के दौरान सर्राफा कारोबार काफी प्रभावित हुआ है, लेकिन सोने के भाव में तेजी आई है। सर्राफा कारोबारी कपिल सर्राफ बताते हैं कि लॉकडाउन की शुरुआत में सोने के दाम 35 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम थे, जो कि इस समय करीब 46 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम है।

क्या कहते हैं सर्राफा कारोबारी

वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के सामने संकट की घड़ी आई है। ऐसे कुछ लोग सोने-चांदी के आभूषण बेचने के लिए घर से निकलने पर मजबूर हुए हैं। शासन-प्रशासन को स्थिति को संभालने के लिए प्रयास तेज करने होंगे। -कपिल सर्राफ

लॉकडाउन को अभी सवा दो महीने हुए हैं। अभी बहुत विकट स्थिति सामने नहीं आई है। सरकार आर्थिक मदद और प्रशासन राशन किट बांट रहा है। समाजसेवी लोग हरसंभव कर रहे हैं। कोरोना से बचाव के लिए संयम बरतने की जरूरत है।

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