करोड़ों से बना टैंक, फिर भी प्यासे ग्रामीण

जागरण संवाददाता, चांदपुर: जल निगम द्वारा लगभग एक करोड़ 86 लाख रूपये की लागत से बनाया गया अवर जलाशय

By Edited By: Publish:Mon, 16 Jan 2017 10:49 PM (IST) Updated:Mon, 16 Jan 2017 10:49 PM (IST)
करोड़ों से बना टैंक, फिर भी प्यासे ग्रामीण
करोड़ों से बना टैंक, फिर भी प्यासे ग्रामीण

जागरण संवाददाता, चांदपुर:

जल निगम द्वारा लगभग एक करोड़ 86 लाख रूपये की लागत से बनाया गया अवर जलाशय (ओवर हैड टैंक) होने के बावजूद भी लोग इसके लाभ से अछूते हैं, या कहा जाए तो प्यासे हैं। कस्बे में अधिकांश स्थानों का पानी दूषित होने के कारण लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में लोग प्यास बुझाने को दूषित पानी ही पीने को मजबूर हैं। हालात यह हैं कि छह वर्ष बीत जाने के बाद भी 50 हजार आबादी वाले कस्बे में उक्त टैंक से 70 कनेक्शन भी चालू हालत में नहीं हैं।

इसे अधिकारियों की उदासीनता कहें या लापरवाही। कस्बे में वर्ष 2009-10 में एक करोड़ 86 लाख रूपये की लागत से जल निगम की ओर से लगभग एक हजार किलो लीटर क्षमता वाले अवर जलाशय (ओवर हैड टैंक) का निर्माण कराया गया था। लोगों को भी आस थी कि अब उन्हें दूषित पानी से निजात मिलेगी लेकिन उनकी उम्मीदें धरी रह गईं। हालत यह है कि छह वर्ष बीत जाने के बाद भी लगभग 70 कनेक्शन चालू हालत में नहीं हैं। पूर्व ग्राम प्रधान डा. शब्बीर अहमद, आनंद ¨सह, मुकेश कुमार, धर्म ¨सह, ऐजाज अहमद आदि ने विभाग से व्यवस्था दुरुस्त कराने की मांग की है। उधर समीप में ही कूड़ीयां व गंदगी है जिससे पानी भी प्रदूषित होने का खतरा है।

इन्होंने कहा..

क्षेत्रीय जूनियर इंजीनियर गोस्वामी कौशल कुमार ने बताया कि जिन स्थानों पर पानी की रुकावट थी वहां पुन: खुदाई करवाकर सप्लाई से मिलाया गया है। अब कोई भी कनेक्शन ले सकता है।

सड़कें भी कर दीं खस्ताहाल

ग्रामीणों का कहना है कि विभागीय कर्मचारियों के द्वारा पानी की सप्लाई के लिए पाईप डालने हेतु जगह-जगह सड़कें भी खोद कर डाल दी गईं। जिससे काफी समय तक परेशानी भी हुई, लेकिन अभी तक पानी की सही सप्लाई नहीं हो सकी है।

अधिकांश स्थानों पर पानी दूषित

कस्बे में अधिकांश स्थानों पर पानी दूषित है। कई बार स्वास्थ्य विभाग व अन्य ऐजेंसियों ने पानी के नमूने भी भेजे, जो फेल साबित हुए। ऐसे में ओवरहैड टैंक को देखकर लोगों को उम्मीद थी कि अब उन्हें शुद्ध पानी मिलेगा, लेकिन वह धरी रह गई।

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