समुद्र पर सेतु बना लंका पहुंची श्रीराम की सेना

समस्त जीवों को भवसागर से पार कराने वाले प्रभु श्रीराम सागर से मार्ग देने की प्रार्थना करते हैं। अंत में प्रभु के क्रोधित होने पर नल-नील की सहायता से सागर पर पुल बना दिया जाता है। पुल पार कर प्रभु श्रीराम की सेना लंका में प्रवेश कर जाती है। ज्ञानपुर की रामलीला में रविवार को समुद्र तट पर रामेश्वर शिवलिग पूजन विभिषण शरणागत व रावण-अंगद संवाद की लीला का भावपूर्ण मंचन होता है। रावण जब अपने भाई विभिषण को पैर से मार कर निष्काषित कर देता है। तब तक वह प्रभु श्रीराम के शरण में पहुंचता है और प्रभु उसे लंकापति की उपाधि देते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 07 Oct 2019 07:24 PM (IST) Updated:Thu, 10 Oct 2019 06:21 AM (IST)
समुद्र पर सेतु बना लंका पहुंची श्रीराम की सेना
समुद्र पर सेतु बना लंका पहुंची श्रीराम की सेना

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : समस्त जीवों को भवसागर से पार कराने वाले प्रभु श्रीराम सागर से मार्ग देने की प्रार्थना करते हैं। अंत में प्रभु के क्रोधित होने पर नल-नील की सहायता से सागर पर पुल बना दिया जाता है। पुल पार कर प्रभु श्रीराम की सेना लंका में प्रवेश कर जाती है। ज्ञानपुर की रामलीला में रविवार को समुद्र तट पर रामेश्वर शिवलिग पूजन, विभिषण शरणागत व रावण-अंगद संवाद की लीला का भावपूर्ण मंचन होता है।

रावण जब अपने भाई विभिषण को पैर से मार कर निष्कासित कर देता है। तब तक वह प्रभु श्रीराम के शरण में पहुंचता है और प्रभु उसे लंकापति की उपाधि देते हैं। इसके बाद मां जानकी को लौटाने के लिए प्रभु श्रीराम बाली पुत्र अंगद को दूत बनाकर लंकापति रावण के पास भेजते हैं। अंगत के काफी समझाने के बावजूद रावण अहंकार में डूबा रहता है। इस पर अंगद क्रोधित होकर जमीन पर पैर जमा देते हैं और शर्त रख देते हैं कि यदि कोई मेरे पैर को उठा देगा तो प्रभु श्रीराम बिना युद्ध के लौट जाएंगे। रावण के सभी योद्धा तमाम कोशिश के बावजूद उनका पैर हिला नहीं सके। रावण स्वयं उठा तब अंगद ने उसके अभिमान को चूर-चूर करते हुए कहा कि मेरे पैर मत पकड़ो, पकड़ना ही है तो प्रभु श्रीराम का चरण पकड़ो। इसके पश्चात आरती के साथ ही लीला समाप्त हो जाती है। आरती में कैलाशपति शुक्ल, विनीत श्रीवास्तव, घनश्याम मिश्र व देवीप्रसाद गुप्ता आदि शामिल रहे।

खमरिया प्रतिनिधि के अनुसार : नगर में चल रही रामलीला में रविवार को सीता खोज राम सुग्रीव मित्रता बाली वध लंका दहन तक की रामलीला का सुंदर मंचन किया गया। मंचन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच जयघोष भी होता रहा।

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