आठ हजार से अधिक वोटरों को पसंद नहीं आए थे प्रत्याशी
लोकतंत्र को मजबूत करने के साथ पारदर्शिता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग ने 2014 के आम चुनाव से मतदाता को इलेक्ट्रानिक वोटिग मशीन में नोटा का विकल्प दिया है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : लोकतंत्र को मजबूत करने के साथ पारदर्शिता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग ने 2014 के आम चुनाव से मतदाता को इलेक्ट्रानिक वोटिग मशीन में नोटा का विकल्प दिया है। भदोही लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में आठ हजार नौ सौ 69 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था। आलम यह है कि इतने मतदाताओं ने किसी भी प्रत्याशी को पसंद नहीं किया।
संसद और विधानसभा के चुनाव में कोई शैक्षिक योग्यता संविधान में निर्धारित नहीं की गई है। बावजूद इसके संसद में जन प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित होकर राष्ट्र निर्माण का कार्य करने वाले व्यक्ति भले ही शैक्षिक रूप से संपन्न न हो कितु वह निश्चित रूप से सच्चरित्र होना चाहिए। उनके चरित्र पर किसी को किसी प्रकार का संदेह न हो, जिससे वह बिना किसी धर्म, जाति, वर्ग के मोहपाश में पड़े समाज एवं राष्ट्र के हित में निर्णय ले सकें। मतदाताओं की ओर से चुनाव आयोग से समस्त प्रत्याशियों को अस्वीकार करने का अधिकार प्रदान करने की मांग भी उठी। जिसे स्वीकार कर सर्वोच्च अदालत ने वर्ष 2913 में चुनाव आयोग को वोटिग मशीन में प्रत्याशियों के नाम एवं चुनाव चिन्ह के साथ नोटा का भी विकल्प उपलब्ध कराने को कहा था। इलेक्ट्रानिक वोटिग मशीन में पहली पर नोटा का प्रयोग 2014 के लोकसभा चुनाव में किया गया था। इस दौरान भदोही संसदीय क्षेत्र में कुल आठ हजार नौ सौ 69 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था।
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किसे कितना मिला था वोट
वीरेंद्र सिंह मस्त भाजपा- 4,03,583
सीमा मिश्रा सपा - 2,38,570
राकेशधर त्रिपाठी बसपा- 2,45,437
सरताज इमाम कांग्रेस - 22,569