मशरुम की खेती से संवारी गृहस्थी

मुहम्मद इब्राहिम ज्ञानपुर (भदोही) ------------- तमाम लोग यह कहते नहीं थक रहे कि लाकडा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 06:36 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 06:36 PM (IST)
मशरुम की खेती से संवारी गृहस्थी
मशरुम की खेती से संवारी गृहस्थी

मुहम्मद इब्राहिम, ज्ञानपुर (भदोही)

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तमाम लोग यह कहते नहीं थक रहे कि लाकडाउन में काम-धंधा छूट गया है। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो आपदा को अवसर के रूप में देखने लगे हैं। औराई ब्लाक क्षेत्र के शिवरामपुर, बाबूसराय के अखिलेश मौर्य उन्हीं चंद लोगों में से एक हैं। बीटेक की पढ़ाई करने के साथ आयस्टर मशरूम का उत्पादन शुरू किया। न सिर्फ अपनी पढ़ाई का पूरा खर्च निकाल रहे बल्कि परिवार की माली हालत को सुधार रहे हैं। वे अब हर महीने 15 हजार रुपये की आमदनी कर रहे हैं। इसी खेती के सहारे अपने घर-गृहस्थी को संवारने में जुटे हुए हैं।

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प्रतिदिन चार से सात किलो

हो रहा उत्पादन

कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां से प्रशिक्षण लेकर उन्होंने अपने एक कमरे में मशरूम उत्पादन की व्यवस्था सुनिश्चित की। वह प्रतिदिन चार से सात किलो मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। 100 से 120 रुपये किलो की दर से बिकने वाले मशरूम से उन्हें औसतन प्रति माह 15 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि प्रति किलो मशरूम उत्पादन में 30 से 35 रुपये खर्च आता है। प्रति किलो पर 60 से 70 रुपये का शुद्ध लाभ मिल जाता है।

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लाभकारी होने से बिकने

में दिक्कत नहीं

मशरूम पौष्टिक तत्वों व औषधीय गुणों के चलते काफी लाभकारी होता है। इससे बिकने में भी कोई दिक्कत नहीं होती। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि फसल सुरक्षा विशेषज्ञ डा. मनोज पांडेय ने बताया कि मशरूम का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खाद्य रेशा, वसा, खनिज लवण व विटामिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। मशरूम में कोलीन नाम का एक खास पोषकतत्व पाया जाता है, जो मांसपेशियों की सक्रियता और याददाश्त बरकरार रखने में बेहद फायदेमंद रहता है।

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