जीआइ लाभ के लिए सरकार से सहयोग की अपेक्षा
भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) के पिपरिस स्थित नवनिर्मित भवन में शनिवार को संस्थान के कार्यवाहक निदेशक जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने कालीन निर्यातकों संग बैठक की। इस दौरान जीआई के प्रोत्साहन तथा उससे कालीन उद्योग को लाभांवित करने पर बल दिया गया।
जासं, भदोही: भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) के पिपरिस स्थित नवनिर्मित भवन में शनिवार को संस्थान के कार्यवाहक निदेशक जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने कालीन निर्यातकों संग बैठक की। इस दौरान जीआई के प्रोत्साहन तथा उससे कालीन उद्योग को लाभांवित करने पर बल दिया गया।
अथिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा) के पूर्व अध्यक्ष रवि पाटोदिया ने जीआई (भौगोलिक संकेतक) के संबंध में विचार रखते हुए इसके पंजीकरण से लेकर उपयोग व लाभ पर चर्चा किया। इसके लिए सरकार से प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा गया। कहा कि कालीन परिक्षेत्र में अधिकतर छोटे मझोले कालीन निर्यातक इकाइयां हैं ऐसे में उनके लिए देश व विदेश में प्रचार प्रसार करना संभव नहीं है। कहा कि ऐसे में सरकार का सहयोग अपेक्षित है। आईआईसीटी के एसोसिएट प्रोफेसर एसके पांडेय ने कहा कि कि सरकार कालीन उद्योग के विकास को लेकर गंभीर है तथा इस दिशा में हस्तशिल्प आयुक्त क माध्यम से सहयोग मिल सकता है। एकमाध्यक्ष ओएन मिश्रा ने कालीन इकाइयों को जीआई के तहत पंजीकरण कराने पर बल दिया। कहा कि इसके लिए एकमा कार्यालय से सहयोग लिया जाता है। एकमा के उपाध्यक्ष अब्दुल हादी, संयुक्त सचिव आलोक कुमार बरनवाल ने लेब¨लग तथा प्रचार प्रसार के संबंध में अपने अपने विचार रखे। तय किया गया कि जल्द ही एकमा , आईआईसीटी, जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र संयुक्त रूप से प्रत्यावेदन तैयार कर संबंधित विभाग तथा सरकार को प्रेषित करेंगे। इसके अलावा आगामी कालीन मेले में जीआई का प्रचार प्रसार करने पर जोर दिया गया। जिलाधिकारी ने कालीन उद्योग की बेहतरी के लिए हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया। कहा कि वे उनकी मांगों को शासन तक पहुंचाएंगे तथा हर संभव लाभ दिलाने का प्रयास करेंगे।