संकट के दौर में कालीन उद्योग को राहत की दरकार
कोरोना संक्रमण काल में संकट के दौर से गुजर रहे कालीन उद्योग क
जागरण संवाददाता, भदोही : कोरोना संक्रमण काल में संकट के दौर से गुजर रहे कालीन उद्योग को सरकार से प्रोत्साहन की जरूरत है। निर्यात प्रोत्साहन राशि, माल भाड़ा वृद्धि, कंटेनर संकट, इंट्रेस्ट सबवेंशन सहित कई समस्याओं से कालीन उद्योग जूझ रहा है, जबकि व्यवसायियों व सरकार के बीच सेतु का काम करने वाली कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने इस मामले को सरकार के सामने दमदारी से नहीं रखा, जबकि कालीन उद्योग को राहत की दरकार है।
व्यवसायियों को उत्पादों के निर्यात पर स्कीम मर्चेडाइज एक्सपोर्ट फ्राम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत पांच फीसद प्रोत्साहन राशि मिलती थी लेकिन 31 दिसंबर 2020 से यह स्कीम बंद कर दी गई। इसके स्थान पर एक जनवरी 2021 से रेमिशन आफ ड्यूटीज एंड टैक्सेज आन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट (रोडटेप) लागू किया गया था। स्कीम लागू होने के सात माह बाद रोडेटेप की दरें घोषित की गईं, जो बेहद कम हैं। इसे लेकर निर्यातकों में भारी निराशा है। कहा जा रहा था सीईपीसी की पहल पर सरकार इस पर विचार कर राहत प्रदान कर सकती थी लेकिन इस दिशा में गंभीरता के साथ पहल नहीं की गई। परिषद के चेयरमैन उमर हमीद का कहना है कि उन्होंने उसी समय केंद्रीय वस्त्र सचिव से मुलाकात कर उद्यमियों की चिता से अवगत कराया था। कालीन उद्योग की समस्याओं के समाधान के लिए सीईपीसी लगातार प्रयासरत है। इस संबंध में वाणिज्य मंत्रालय से वार्ता हुई है। रोडटेप समस्या को लेकर निर्यातकों से फीडबैक मांगा गया है। इसे लेकर 25 नवंबर को दिल्ली में सीईपीसी बैठक करने वाली है।
असलम महबूब, मानद सचिव (एकमा) व सदस्य प्रशासनिक समिति (सीईपीसी)