बैट्री-पैनल चोरी, सोलर एनर्जी गुल

गांवों को सोलर लाइट से चकाचौंध करने की कवायद के तहत ग्राम पंचायतों में लगाई गई सोलर व स्ट्रीट लाइटों की योजना पूरी तरह मनमानी की भेंट चढ़ गई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 Jun 2019 12:35 AM (IST) Updated:Tue, 04 Jun 2019 06:26 AM (IST)
बैट्री-पैनल चोरी, सोलर एनर्जी गुल
बैट्री-पैनल चोरी, सोलर एनर्जी गुल

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : गांवों को सोलर लाइट से चकाचौंध करने की कवायद चोरी हो गई। ग्राम पंचायतों में लगाई गई सोलर व स्ट्रीट लाइटें गायब कर दी गईं। इन्हें गायब किया गया या फिर वास्तव में चोर उठा ले गए, यह कोई बताने वाला नहीं। अभी तक किसी गांव की ओर से करोड़ों रुपये के सोलर उपकरण चोरी होने की रिपोर्ट भी नहीं दर्ज कराई गई है, इसके चलते ग्राम पंचायतों की संलिप्तता से इन्कार नहीं किया जा सकता। अब जबकि पंचायत राज विभाग के मीरजापुर निदेशक एके शाही ने भदोही समेत तीन जिलों में सोलर लाइट घोटाला खोल दिया है तो ग्राम पंचायतें अपना दामन बचाने के लिए डीपीआरओ की गणेश परिक्रमा करने में जुट गई हैं। खंभे और लाइटें बनीं शो-पीस

ग्रामीणों को दी गई इस सौगात के बिगड़ने के बाद कोई सुधि लेने वाला नहीं दिख रहा है। खंभे व लाइट शो-पीस बने केवल ग्रामीणों को मुंह चिढ़ाते दिख रहे हैं। यह अलग बात है कि इसकी आड़ में मनमानी भुगतान कर प्रधान व सचिव मालामाल हो उठे। अब बैटरी चोरी हो जाने का हवाला देकर पाक दामन बनने की कोशिश में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। केस 1

दुर्गागंज क्षेत्र के मसुधी ग्राम में दर्जन भर से अधिक सोलर लाइट लगाए गए थे। मौजूदा स्थिति यह है कि कई में लगी बैटरी गायब है। मात्र खंभे खड़े हैं। इसे कौन ठीक कराएगा कहीं से कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। केस 2

चौरी क्षेत्र के लठिया गांव में कई सोलर लाइट तो कई दर्जन स्ट्रीट लाइट लगाए गए थे। अधिकतर की रोशनी गायब है। कौन ठीक कराएगा कोई सुधा नहीं ली जा रही है। ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। खूब हुई लूट, रोशन नहीं हुए गांव

पंचायत चुनाव के बाद करीब आठ माह से राज्य वित्त और चौदहवां वित्त के मद में 56 करोड़ रुपये डंप थे। तत्कालीन डीएम सुरेश कुमार सिंह ने नवम्बर 2016 में कार्य योजनाओं की स्वीकृति दे दी थी। इसके बाद मनमानी के शुरू हुए खेल में ग्राम प्रधान व सचिवों ने एजेंसियों के तालमेल कर 13 हजार की सोलर लाइट का 20 से 25 हजार रुपये तक भुगतान कर दिया। हर गांव में 25 से लेकर 50 सोलर लाइट लगाकर धन का बंदरबाट किया गया। हालांकि डीएम विशाख जी ने टीम गठित कर जांच करानी शुरू कर दी। कई माह तक प्रधान और सचिव स्थापित कराए गए सोलर लाइट की सूची उपलब्ध नहीं कराए। हालांकि उनके जाने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। कमोवेश यही दशा स्ट्रीट लाइटों को लगाने में भी रही। फिर दोहराई वहीं कहानी

अप्रैल 2018 फरवरी 2019 तक में भी सोलर लाइट, स्ट्रीट लाइट व डस्टबिन की खरीद में फिर से वही कहानी दोहराई जा चुकी है। पंचायत राज विभाग के विध्याचल मंडल के उपनिदेशक ने सभी प्रधान व सचिवों से खरीद की रिपोर्ट मांगी है। एक निश्चित फार्मेट पर कितने सोलर लाइट, स्ट्रीट लाइट व डस्टबिन की खरीद की गई? किस दर से कुल कितनी धनराशि का भुगतान हुआ है। किस संस्था से खरीद की गई कि संपूर्ण जानकारी देने को कहा गया है।

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